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________________ व्याख्या. प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः२ ॥७२९॥ जेजा ?, गोयमा ! पुढविकाइयाणं तओ समुग्घाया पं०, तं०-वेदणासमुग्घाए कसायसमुग्घाए मारणंतिय-1||१७ शतके । समुग्घाए, मारणंतियसमुग्घाएणं समोहणमाणे देसेण वा समोहणति सवेण वा समोहणति देसेणं समोहन्नमाणे पुछि संपाउणित्ता पच्छा उववजिजा, सवेणं समोहणमाणे पुष्विं उववजेत्ता पच्छा संपाउणेज्जा,से तेणटेणं इशानसुधजाव उववजिज्जा । पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जाव समोहए स०२ जे भविए ईसाणे मसभा सू कप्पे पुढवि एवं चेव ईसाणेवि, एवं जाव अच्चुयगेविजविमाणे, अणुत्तरविमाणे ईसिपब्भाराए य एवं चेव । | १७पृथ्वापुढविकाइए णं भंते ! सकरप्पभाए पुढवीए समोहए २ स.जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवि० एवं जहा रयण- प्रा. प्पभाए पुढविकाइए उववाइओ एवं सकारप्पभाएवि पुढविकाइओ उववाएयवो जाव ईसिपन्भाराए, एवं स्युत्पादो जहा रयणप्पभाए वत्तवया भणिया एवं जाव अहेसत्तमाए समोहए ईसीपब्भाराए उववाएयचो । सेवं भंते ! २त्ति ॥ (सूत्रं ६०४)॥१७-६॥ पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढवीकाइयत्ताए उववज्जित्तए से णं भंते ! किं पुर्वि सेसं तं चेव जहा रयणप्पभापुढविकाइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिपब्भाराए ताव उववाइओ एवं सोहम्मपुढविकाइओवि सत्तसुवि पुढवीसु उववाएयबो जाव अहेसत्तमाए, एवं जहा सोहम्मपुढविकाइओ सवपुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिपन्भारापुढविकाइओ सधपुढवीसु उववाएयवो जाव अहेसत्तमाए, सेवं भंते!२॥ (सूत्रं ६०५)| ॥ १७-७॥ आउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोह. २ जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइ ॥७२९॥ Jain Education Interational For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600226
Book TitleBhagwati sutram Part 03
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1921
Total Pages654
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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