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________________ ८ शतके व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवीया वृत्तिः CA%7-%A5A5% उद्देशः५. सामायिक वतो भाण्डादि सू ३२८ ॥३६७॥ % सयं भंडं अणुगवेसह परायगं भंडं अणुगवेसइ ?, गोयमा ! सयं भंडं अणुगवेसति नो परायगं भंडं अणुगवेसेइ, तस्स णं भंते ! तेहिं सीलच्चयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवति', हंता भवति ॥ से केणं खाइ णं अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सयं भंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा! तस्स णं एवं भवति-णो मे हिरन्ने नो मे सुवन्ने नो मे कंसे नो मे दूसे नो मे विउलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमादीए संतसारसावदेजे, ममत्तभावे पुण से अपरिणाए भवति, से | तेणटेणं गोयमा ! एवं बुचइ-सयं भंडं अणुगवेसइ नो परायगं भंडं अणुगवसइ ॥ समणोवासगस्स णं भंते! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केति जायं चरेजा से णं भंते ! किं जायं चरइ अजायं चरइ ?, गोयमा ! जायं चरइ नो अजायं चरइ, तस्स णं भंते! तेहिं सीलवयगुणवेरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं |सा जाया अजाया भवइ १, हंता भवइ, से केणं खाइ णं अटेणं भंते! एवं वुचइ-जायं चरइ नो अजायं चरइ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-णो मे माता णो मे पिता णो मे भाया णो मे भगिणी णो मे भज्जा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो मे सुण्हा, पेजबंधणे पुण से अवोच्छिन्ने भवइ, से तेणठेणं गोयमा ! जाव नो अजायं चरइ ॥ (सूत्रं ३२८)॥ 'रायगिहें'इत्यादि, गौतमो भगवन्तमेवमवादीत्-'आजीविका गोशालकशिष्या भदन्त ! 'स्थविरान्'निर्ग्रन्थान् भगवतः ‘एवं' वक्ष्यमाणप्रकारमवादिषुः, यच्च ते तान् प्रत्यवादिषुस्तद्गौतमः स्वयमेव पृच्छन्नाह-समणोवासगस्स % ॥३६७० % Jain Education International For Personal & Private Use Only www b rary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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