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________________ व्याख्याप्रज्ञप्तिः अभयदेवी- ४ या वृत्तिः १ ४ ॥ ३५६ ॥ हा-दओ खेत्तओ कालओ भावओ, दवओ णं आभिणिबोहियनाणी आएसेणं सङ्घदवाई जाणइ पासह, | खेत्तओ आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सवखेत्तं जाणइ पासह, एवं कालओवि, एवं भावओवि । सुय नाणस्स णं भंते! केवतिए विसए पण्णत्ते १, गोयमा ! से समासओ चउबिहे पण्णत्ते, तंजहा - दवओ ४, दवओ णं सुयनाणी उवउते सङ्घदवाई जाणति पासति, एवं खेत्तओवि कालओवि, भावओ णं सुयनाणी उवन्ते सबभावे जाणति पासति । ओहिनाणस्स णं भंते! केवतिए विसए पन्नत्ते ?, गोयमा ! से समासओ चडविहे पण्णत्ते, तंजहा- दवओ ४, दवओ णं ओहिनाणी रूविदवाई जाणइ पासइ जहा नंदीए जाव भावओ मणपज्जव नाणस्स णं भंते ! केबतिए विसर पण्णत्ते ?, गोयमा ! से समासओ चउविहे पण्णन्ते, तंजहा - दवओ ४, दवओ णं उज्जुमती अनंते अनंतपदेसिए जहा नंदीए जाव भावओ । केवलनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?, गोयमा ! से समासओ चउविहे पन्नत्ते, तंजहा- दवओ खेत्तओ कालओ भावओ, दवओ पां | केवलनाणी सङ्घदवाई जाणइ पासह एवं जाव भावओ ॥ मइअन्नाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पनते १, गोयमा । से समासओ चढविहे पन्नसे, तंजहा - दवओ खेत्तओ कालओ भावओ, दवओ नं मइअन्नाणीं महअन्नाणपरिगयाई दवाई जाणइ, एवं जाव भावओ मइअन्नाणी मइअन्नाणपरिगए भावे जाणइ पासह । सुयअन्नाणस्स णं भंते । केवतिए विसए पण्णन्ते?, गोयमा ! से समासओ चउविहे पण्णत्ते, तंजहा - दबओ ४, | दखओ णं सुयअन्नाणी सुयअन्नाणपरिमघाई दवाई आघवेति पन्नवेति परूवेह, एवं खेत्तओ कालओ, भावओ | Jain Education International For Personal & Private Use Only ८ शतके उद्देशः २ मत्यादीनां विषयः प र्यायाच सू ३२६ ॥ ३५६ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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