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________________ सथिकायस्सवि, सेसं जहेव दोण्हं, एवं एकेको वड्डियत्वो पएसो आइल्लएहिं तिहिं अस्थिकाएहिं, सेसं जहेव दोण्हं जाव दसण्हं सिय एक्को सिय दोन्नि सिय तिन्नि जाव सिय दस, संखेजाणं सिय एक्को सिय दोन्नि जाव सिय दस सिय संखेजा, असंखेजाणं सिय एको जाव सिय संखेजा सिय असंखेजा, जहा असंखेज्जा एवं अणंतावि । जत्थ णं भंते ! एगे अद्धासमए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थि०१, एको, केवतिया अहम्मत्थि० १, एक्को, केवतिया आगासत्थि० ?, एको, केवइया जीवत्थि०१, अणंता, एवं जाव अद्धासमया। जत्थ णं भंते ! धम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायप० ओगाढा १, नत्थि एकोवि, केवतिया अहम्मत्थिकाय?, असंखेजा, केवतिया आगास ?, असंखेजा, केवतिया जीवस्थिकाय?, अणंता, एवं | जाव अद्धासमया । जत्थ णं भंते ! अहम्मत्थिकाए ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय, असंखेजा, केवतिया अहम्मस्थि०१, नत्थि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स, एवं सबे, सहाणे नत्थि एक्कोवि भाणियवं, परहाणे आदिल्लगा तिन्नि असंखेज्जा भाणियबा, पच्छिल्लगा तिन्नि अणंता भाणियवा जाव अद्धासमओत्ति जाव केवतिया अद्धासमया ओगाढा नत्थि एक्कोवि (सूत्रं४८३)॥ जत्थणं भंते! एगे पुढविकाइए ओगाढे तत्थ णं केवतिया पुढविक्काइया ओगाढा ?, असंखेज्जा, केवतिया आउक्काइया ओगाढा?, असंखेजा, केवइया | तेउकाइया ओगाढा ?, असंखेजा, केवइया वाउ० ओगाढा ?, असंखेजा, केवतिया वणस्सइकाइया ओगाढा ?, अणंता । जत्थ णं भंते!एगे आउकाइए ओगाढे तत्थ णं केवतिया पुढवि० असंखेजा, केवतिया आउ. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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