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जीवे जमाली?, तए णं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए जाव कलससमावन्ने जाए यावि होत्था, णो संचाएति भगवओ गोयमस्स किंचिवि पमोक्खमाइक्खित्तए तुसिणीए संचिट्ठइ,जमालीतिसमणे भगवं महावीरे जमालिं अणगारं एवं वयासी-अस्थि णं जमालीममं बहवे अंतेवासी
समणा निग्गंथा छउमत्था जे णं एवं वागरणं वागरित्तए जहाणं अहं नो चेवणं एयप्पगारं भासं भासित्तए| ट्र जहा णं तुम, सासए लोए जमाली ! जन्न कयावि णासि ण कयावि ण भवति ण कदावि ण भविस्सइ भुविं |च भवइ य भविस्सइ य धुवे णितिए सासए अक्खए अवए अवट्टिए णिचे, असासए लोए जमाली ! जओ
ओसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ उस्सप्पिणी भवित्ता ओसप्पिणी भवइ, सासए जीवे जमाली! जं न कयाइ णासि जाव णिच्चे असासए जीवे जमाली जन्नं नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ मणुस्से भवित्ता देवे भवइ । तए णं से जमाली अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स एवमाइक्खमणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमढे णो सद्दहइ णो पत्तिएइ णो रोएइ एयमद्वं असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोचंपि समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ आयाए अवक्कमइ दोचंपि आयाए अवक्कमित्ता बहूहिं असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च वुग्गाहमाणे वुप्पाएमाणे बहूयाई वासाई सामन्नपरियागं पाउणइ २ अद्धमासियाए संलेहणाए
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