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________________ ९ शतके उद्देशः३३ | जमालेनि रुत्तरता सु ३८७ व्याख्या समणा णिग्गथा जमालिस्स अणगारस्स एयमटुंणो सद्दहति णो पत्तियंतिणो रोयंति ते णं जमालिस्स अणप्रज्ञप्तिः गारस्स अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमंति २ पुवाणुपुष्विं चरमाणे गामाणुगामं दूह. जेणेव | अभयदेवी- है चंपानयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए जेणेव समणं भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २त्ता समणं भगवं महावीर या वृत्तिः२ मा |तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेंति २त्ता वंदइ णमंसइ २ समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ता णं विह॥४८५॥ | रंति। (सूत्रं ३८६)तए णं से जमाली अणगारे अन्नया कयावि ताओ रोगायंकाओ विप्पमुक्के हहे तुट्टे जाए | अरोए बलियसरीरे सावत्थीओ नयरीओकोट्ठयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ २ पुवाणुपुधिं चरमाणे गामाणुगाम दूइजमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुन्नभद्दे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ २ |समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-जहा णं देवाणु| प्पियाणं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था भवेत्ता छउमत्थावक्कमणेणं अवकंता णो खलु अहं तहा छउमत्थे भवित्ता छउमस्थावकमणेणं अवक्कमिए, अहन्नं उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली |भवित्ता केवलिअवकमणेणं अवक्कमिए, तए णं भगवं गोयमे जमालिं अणगारं एवं वयासी-णो खलु जमा ली ! केवलिस्स णाणे वा दंसणे वा सेलंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवरिजइ वा णिवारिज्जइ वा, जइ राणं तुम जमाली! उप्पन्नणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिअवक्कमणेणं अवकंते तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि-सासए लोए जमाली ! असासए लोए जमाली ?, सासए जीवे जमाली! असासए ॥४८५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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