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________________ अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण दो सक्कर० तिनि वालुयप्पंभाए होज्जा,एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणिओ तहा छण्हवि भाणियवो नवरं एक्को अहिओ उच्चारेयचो, सेसं तं चेव ३४, चउक्कसंजोगोवि तहेव, पंचगसंजोगोवि तहेव, नवरं एक्को अन्भहिओ संचारेयचो जाव पच्छिमो भंगो अहंवा दो वालुय० एगे पंक० एगे धूम० एगे तम० एगे अहेसत्तमाए होजा अहवा एगे रयण एगे सक्कर जाव एगे तमाए होजा १ अहवा एगे रयण जाव एगे धूम० एगे अहेसत्तमाए होज्जा २ अहवा एगे रयण जाव एगे पंक० एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होजा ३ अहवा एगे रयण. जाव एगे वालुयसर्षमीळने ९२५ भङ्गाः | एक०७द्विकसंयोगाः १०५ | एगे धूमजाव एगे अहेसत्तमाए होजा ४ अहवा एगे रयण एगे सकर० एगे पंक० त्रिकसंयोगाः ३५० | जाव एगे अहेसत्तमाए होजा ५ अहवा एगे रयण एगे वालुयजाव सगे अहेसत्तमाए| पंचकसंयोगाः १०५ होजा ६ अहवा एगे सकरप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे आहेससमाए होज्जा ७॥| पसंयोगाः . | 'छन्भंते नेरइये'त्यादि ॥ इहैकत्वे सप्त, द्विकयोगे तु षण्णां द्वित्वे पश्च विकल्पास्तद्यथा-१५॥ २४॥ ३३॥ ४२ । ५१ । तैश्च सप्तपदद्धिकसंयोगएकविंशतेर्गुणनात् पञ्चोत्तरं भङ्गकशतं २५ भवति, त्रिकयोगे तु षण्णां त्रित्वे दश विकल्पास्तद्यथा-११४ । १२३ । २१३ । १३२ । २२२ । ३१२ । १४१ । | २३१ । ३२१ । ४११ । एतैश्च पञ्च| त्रिंशतः सप्तपदत्रिकसंयोगानां गुणनात् त्रीणि शतानि पञ्चाशदधिकानि भवन्ति, चतुष्कसंयोगे तु षण्णां चतूराशितया स्थापने दर्श विकल्पास्तद्यथा-१११३ । ११२२। १२१२।। २११२। ११३१ । १२२१ । २१२१ । +OCIEN CE dain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600225
Book TitleBhagwati sutram Part 02
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages664
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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