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________________ आणुपुबीए परिकम्मेमाणे २ दन्भेहि य कुसेहि य वेढेइ २ अट्ठहिं मट्टियालेवेहिं लिंपइ २ उण्हे दलयति भूति २ सुक्कं समाणं अत्थाहमतारमपोरसियंसि उदगंसि पक्खिवेजा, से नूर्ण गोयमा ! से तुंबे तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवेणं गुरुयत्ताए भारियत्ताए गुरुसंभारियत्ताए सलिलतलमतिवइत्ता अहे धर, णितलपइट्ठाणे भवइ ?, हंता भवइ, अहे णं से तुंबे अट्टण्हं महियालेवेणं परिक्खएणं धरणितलमतिवइत्ता उप्पि सलिलतलपइट्ठाणे भवइ ?, हंता भवइ, एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए निरंगणयाए गइपरिणामेणं अकम्मस्स गई पन्नायति । कहन्नं भंते ! बंधणछेदणयाए अकम्मस्स गई पन्नत्ता, गोयमा ! से जहानामए-कलसिंवलियाइ वा मुग्गसिंबलियाइ वा माससिंबलियाइ वा सिंबलिसिंबलियाइ वा एरंडमिंजियाइ वा उण्हे दिना सुका समाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छह, एवं खलु गोयमा ! कहनं भंते ! निरंधणयाए अकम्मस्स गती?, गोयमा ! से जहानामए-धूमस्स इंधणविप्पमुक्कस्स उडे वीससाए निवाघाएणं, गती पवत्तति, एवं खलु गोयमा! । कहन्नं भंते ! पुवप्पओगेणं अकम्मस्स गती पन्नत्ता ?, गोयमा ! से हानामए-कंडस्स कोदंडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निवाघाएणंगती पवत्तइ, एवं खलु गोयमा ! नीसंगयाए निरंगणयाए जाव पुवप्पओगेणं अकम्मस्स गती पण्णत्ता॥ (सूत्रं २६५)॥ 'गई पण्णायइत्तिगतिःप्रज्ञायते अभ्युपगम्यते इतियावनिस्संगयाए'त्ति'निःसङ्गतया'कर्ममलापगमेन निरंगणयाए'त्ति नीरागतया मोहापगमेन गतिपरिणामेणं ति गतिस्वभावतयाऽलाबुद्रव्यस्येव बंधणच्छेयणयाए'त्ति कर्मबन्धनछेद Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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