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________________ ८ व्याख्या प्रज्ञप्तिः अभयदेवी या वृत्तिः१ ६ शतके उद्देशः५ तमस्कायस्व०सु२४१ *45* ॥२६७॥ अनन्तरोद्देशके सप्रदेशा जीवा उक्ताः, अथ सप्रदेशमेव तमस्कायादिकं प्रतिपादयितुं पञ्चमोद्देशकमाह किमियं भंते ! तमुक्काएत्ति पवुच्चइ किं पुढवी तमुक्काएत्ति पवुचति आऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति ? गोयमा ! |नो पुढवी तमुक्काएत्ति पवुचति आऊ तमुक्काएत्ति पवुच्चति । से केणटेणं. १, गोयमा ! पुढविकाए णं अत्थेगतिए सुभे देसं पकासेति अत्थेगइए देसं नो पकासेह; से तेणटेणं । तमुक्काए णं भंते ! कहिं समुट्ठिए कहिं संनिहिए ?, गोयमा! जंबुद्दीवस्स २ बहिया तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेतियन्ताओ अरुणोदयं समुई बायालीसं जोयणसहस्साणि ओगाहित्ता उवरिल्लाओ जलंताओ एकपदेसियाए सेढीए इत्थ णं तमुकाए समुट्ठिए, सत्तरस एकवीसे जोयणसए उ8 उप्पइत्ता तओ | पच्छा तिरियं पवित्थरमाणे २ सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदे चत्तारिवि कप्पे आवरित्ताणं उडेपि य णं जाव बंभलोगे कप्पे रिहविमाणपत्थर्ड संपत्ते एत्थ णं तमुक्काए णं संनिहिए ॥ तमुक्काएणं भंते ! किंसंठिए पन्नत्ते ?, गोयमा ! अहे मल्लगमूलसंठिए उप्पि कुक्कडगपंजरगसंठिए पण्णत्ते ॥ तमुक्काए णं भंते ! केवतियं विक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते?, गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तंजहा-संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडे य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से णं संखेजाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं प०, तत्थ णं जे से असंखिजवित्थडे से णं असंखेजाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं असंखेजाई जोयणसहस्साई परिक्खेवेणं पण्णत्ताई। तमुक्काए णं भंते ! केमहालए प०,गोयमा! अयं णं जंबुद्दीवे २ सबदी * **HRSHA ॥२६७॥ CAS dan Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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