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________________ निजरे व्याख्या- समढे, से केणटेणं भंते ! एवं वुचइ जे महावेदणे जाव पसत्थनिजराए ?, गोयमा ! से जहानामए-दुवे वत्था ६ शतके प्रज्ञप्ति:- सिया, एगे वत्थे कद्दमरागरत्ते एगे वत्थे खंजणरागरत्ते, एएसि णं गोयमा ! दोण्हं वत्थाणं कयरे वत्थे उद्देशः १ अभयदेवी | दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुपरिकम्मतराए चेव कयरे वा वत्थे सुधोयतराए चेव सुवामतराए चेव वस्त्रदृष्टाया वृत्तिः सुपरिकम्मतराए चेव ?, जे वा से वत्थे कद्दमरागरते जे वा से वत्थे खंजणरागरत्ते, भगवं! तत्थ णं जे रमन्तेन महा वेदनाल्प॥२५॥ से वत्थे कद्दमरागरत्ते से णं वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चेव दुप्परिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाई चिक्कणीकयाई(अ)सिढिलीकयाई खिलीभूयाई भवंति संपगादपि य णं 8 सू२२९ ते वेदणं वेदेमाणा णो महानिज्जरा णो महापज्जवसाणा भवंति से जहा वा केह पुरिसे अहिगरणं आकोडेमाणे महया २ सद्देणं महया २ घोसेणं महया २ परंपराघाएणं णो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केई अहा-2 बायरे पोग्गले परिसाडित्तए एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाइं जाव नो महापज्जवसाणाई भवंति, भगवं! तत्थ जे से वत्थे.खंजणरागरत्ते से णं वत्थे सुधोयतराए चेव सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा! समणाणं निग्गंधाणं अहाबायराई कम्माइं सिढिलीकयाई निहि-|| दियाई कम्माई विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति,जावतियं तावतियंपिणं ते वेदणं वेदेमाणे महा-||8|| ॥२५०॥ निजरा महापज्जवसाणा भवंति, से जहानामए-केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा से नूणं गोयमा ! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्तेसमाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति?, हंता मसमसाविज्जति, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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