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लेश्या एव भवन्तीत्यस्य दर्शनार्थ तेषां भेदेनाभिधानं, विचित्रत्वाद्वा सूत्रगतेरिति ॥ देवपरिणामाधिकारादनगाररूपद्रदिव्यदेवपरिणामसूत्राणि
| अणगारे शंभंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा पलंघेत्तए वा?, गोयमा ! णो तिणढे समठे। अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं उल्लंघेत्तए वा पलंघेत्तए वा ?, हंता पभू । अणगारे णं भंते ! भावियप्पा बाहिरए पोग्गले अपरिया-18|| इत्ता जावइयाइं रायगिहे नगरे रूवाई एवइयाई विकुम्वित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभू समं वा विसमं करेत्तए विसमं वा समं करेत्तए ?, गोयमा ! णो इणढे समढे, एवं चेव बितिओऽवि आलावगो णवरं परियातित्ता पभू ॥ से भंते ! किं माई विकुव्वति अमाई विकुब्वइ ?, गोयमा! माई विकुव्वह नो अमाई विकुव्वति, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव नो अमाई विकुव्वइ ?, गोयमा ! माईए पणीयं पाणभोयणं भोचा २ वामेति तस्स णं तेणं पणीएणं पाणभोयणेणं अहि अहिमिंजा बहलीभवंति पयणुए मंससोणिए भवति, जेविय से अहाबायरा पोग्गला तेविय से परिणमंति, तंजहा-सोतिदियत्ताए जाव फासिंदियत्ताए अहिअद्विमिंजकेसमंसुरोमनहत्ताए सुक्कत्ताए सोणियत्ताए, अमाईणं लूहं पाणभोयणं भोचा २णो वामेइ, तस्स णं तेणं लूहेणं पाणभोयणेणं अहिअहिमिंजा० पयणु भवति बहले मंससोणिए, जेविय से अहाबादरा पोग्गला तेविष से परिणमंति, तंजहा-उच्चारत्ताए पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए, से तेणटेणं जाव
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