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________________ मियं जाव नो परिणमति । जावं च णं भंते ! से जीवे नो एयति जाव नो तं तं भावं परिणमति तावं च णं 8 तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ ? हंता! जाव भवति । सेकेणटेणं भंते! जाव भवति?, मंडियपुत्ता! जावं च णं से जीवे सया समियं णो एयति जावणो परिणमइ तावं च णं से जीवे नो आरंभइ नोसारंभइ नो समारंभह नो आरंभे वइ णो सारंभे वह णो समारंभे वदृइ अणारंभमाणे असारंभमाणे असमारंभमाणे आरंभे अवमाणे सारंभे अवमाणे समारंभे अवमाणे बहूणं पाणाणं ४ अदुक्खावणयाए जाव अपरियावणयाए वहइ । से जहानामए केइ पुरिसे मुकं तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेजा, से नूर्ण मंडियपुत्ता ! से सुके तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविजह ? हंता ! मसमसाविजइ, से जहानामए के पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लंसि उदयबिंदू पक्खिवेजा, से नूणं मंडियपुत्ता ! से उदयबिंदू तत्तंसि अयकवलंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ?, हंता! विहंसमागच्छइ, से जहानामए हरए सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलहमाणे वोसट्टमाणे समभरघडताए चिट्ठति ?, हंता चिट्ठति, अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयंसि एगं महं णावं सतासवं सच्छिदं ओगाहेजा से नूणं मंडियपुत्ता ! सा नावा तेहिं आसवदारेहिं आपूरेमाणी २ पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलहमाणा वोसट्टमाणा समभरघडताए चिट्ठति ! हंता! |चिट्ठति, अहे णं केह पुरिसे तीसे नावाए सव्वतो समंता आसवदाराई पिहेइ २ नाराउसिंचणएणं उदयं उस्सिचिजा से नूर्ण मंडियपुत्ता ! सा नावा तंसि उद्यसि उस्सिंचिजंसि समाणंसि खिप्पामेव उट्ठे उदाइ ?, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.janelibrary.org
SR No.600224
Book TitleBhagwati sutram Part 01
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1918
Total Pages656
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_bhagwati
File Size13 MB
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