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________________ आवश्यक हारिभद्रीयवृत्तिः विभाग-१ ॥१६२॥ बलदेववासुदेवा अठेव हवंति गोयमसगुत्ता । नारायणपउमा पुण कासवगुत्ता मुणेअव्वा ॥४०४॥ निगदसिद्धा॥ वासुदेवबलदेवानां यथोपन्यासमायुःप्रतिपादनायाह चउरासीई १ बिसत्तरि २ सही ३ तीसा य ४ दस ५ य लक्खाई। पण्णहि सहस्साई ६ छप्पण्णा ७ बारसे ८ गं च ९॥ ४०५॥ |पंचासीई १ पण्णत्तरी अ२ पण्णहि ३ पंचवण्णा ४ य । सत्तरस सयसहस्सा ५ पंचमए आउ होइ ॥४०६॥ |पंचासीह सहस्सा ६ पण्णट्ठी ७ तह य चेव पण्णरस ८। बारस सयाई ९आउं बलदेवाणं जहासंखं ॥४०७॥ निगदसिद्धाः॥ साम्प्रतममीषामेव पुराणि प्रतिपाद्यन्ते-तत्र पोअण १ बारवइतिगं ४ अस्सपुरं ५ तह य होइ चक्कपुरं ६। वाणारसि ७ रायगिहं ८ अपच्छिमो जाओ महुराए ९॥४०८ ॥ निगदसिद्धा ॥ एतेषां मातापितृप्रतिपादनायाह मिगावई १ उमा चेव २, पुहवी ३ सीआ य ४ अम्मया ५। लच्छीमई ६ सेसमई ७, केगमई ८ देवई ९ इअ ॥ ४०९॥ भह १ सुभद्दा २ सुप्पभ ३ सुदंसणा ४ विजय ५ वेजयंती ६अ। तह य जयंती ७ अपराजिआ ८ य तह रोहिणी ९चेव ॥४१॥ CROSAGARMADANERG ॥१६२॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600220
Book TitleAavashyaksutram Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1916
Total Pages514
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size10 MB
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