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________________ छउमत्थकालमित्तो सोहे सेसओ उ जिणकालो । सव्वाउअंपि इत्तो उसभाईणं निसामेह ॥ ३०२॥ चउरासीइ १ बिसत्तरि २ सही ३ पण्णासमेव ४ लक्खाई। चत्ता ५ तीसा ६ वीसा ७ दस ८ दो ९ एगं १० च पुवाणं ।। ३०३॥ चउरासीई ११ बावत्तरी १२ अ सही १३ अ होइ वासाणं। तीसा १४ य दस १५ य एगं १६ च एवमेए सयसहस्सा ॥३०४॥ पंचाणउइ सहस्सा १७ चउरासीई अ १८पंचवण्णा १९ य। तीसा २० य दस २१ य एर्ग २२ सय २३ च बावत्तरी २४ चेव २०॥ ३०५॥ एताश्च एकोनत्रिंशदपिगाथाःसूत्रसिद्धा एव द्रष्टव्या इति । गतं पर्यायद्वारम् इदानीमन्तक्रियाद्वारावसर इति,तत्रान्ते क्रिया अन्तक्रिया-निर्वाणलक्षणा, सा कस्य केन तपसा क्व जाता ?, वाशब्दात्कियत्परिवृतस्य चेत्येतत्प्रतिपादयन्नाहनिव्वाणमंतकिरिआ सा चउदसमेण पढमनाहस्स । सेसाण मासिएणं वीरजिणिदस्स छटेणं ॥ ३०६॥ अट्ठावयचंपुजितपावासम्मेअसेलसिहरेसुं। उसम वसुपुज नेमी वीरो सेसा य सिद्धिगया ॥३०७॥ एगो भयवं वीरो तित्तीसाइ सह निव्वुओ पासो। छत्तीसरहिं पंचहिं सएहि नेमी उ सिद्धिगओ ॥३०८॥ पंचहि समणसएहिं मल्ली संती उ नवसएहिं तु । अट्ठसएणं धम्मो सएहि छहि वासुपुज्जजिणो ॥३०९॥ सत्तसहस्साणंतहजिणस्स विमलस्स छस्सहस्साई। पंचसयाइ सुपासे पउमाभे तिणि अहसया॥३१०॥ SURESHUSHARES AROS Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600220
Book TitleAavashyaksutram Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1916
Total Pages514
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size10 MB
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