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________________ उनी उक्तदोहदाप्राप्तौ यत्तसागस असंपन्नदोहला लता ओमंथियवया यमित्यर्थः, संगतश्चार्य पाठ हास दोहलंसि अविणिजमाणारा पमइलदुव्बला किलताचियपुप्फगंधमल्ला ज्ञाताधर्म- कथाङ्गम्. १उत्क्षिप्तज्ञाताध्य. श्रेणिकागमः सू.१४ ॥२८॥ विनयेयमित्यर्थः, संगतश्चायं पाठ इति । उक्तदोहदाप्राप्तौ यत्तस्याः संपन्नं तदाह तए णं सा धारिणी देवी तंसि दोहलंसि अविणिजमाणंसि असंपन्नदोहला असंपुन्नदोहला असंमाणियदोहला सुक्का भुक्खा णिम्मंसा ओलग्गा ओलुग्गसरीरा पमइलदुब्बला किलंता ओमंथियवयणनयणकमला पंडुइयमुही करयलमलियव चंपगमाला णित्तेया दीणविवण्णवयणा जहोचियपुप्फगंधमल्लालंकारहारं अणभिलसमाणी कीडारमणकिरियं च परिहावेमाणी दीणा दुम्मणा निराणंदा भूमिगयदिट्ठीया ओहयमणसंकप्पा जाव झियायइ, तते णं तीसे धारिणीए देवीए अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडीयाओ धारिणी देवी ओलुग्गंजाव झियायमाणिं पासंति पासित्ता एवं वदासी-किण्णं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ?, तते णं सा धारणी देवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं एवं वुत्ता समाणी नो आढाति णो य परियाणाति अणाढायमाणी अपरियाणमाणी तुसिणिया संचिट्ठति, तते णं ताओ अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणी देवी दोचंपि तचंपि एवं वयासी-किन्नं तुमे देवाणुप्पिए! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ?, तते णं सा धारिणीदेवी ताहिं अंगपडियारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं दोचंपि तचंपि एवं वुत्ता समाणी णो आढाति णो परियाणति अणाढायमाणा अपरियायमाणा तुसिणिया संचिट्ठति, तते णं ताओ अंगपडियारियाओ दासचेडियाओ धारिणीए देवीए अणाढातिजमाणीओ ॥२८॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600219
Book TitleGnatadharmkathangasutram
Original Sutra AuthorAbhaydevsuri
Author
PublisherAgamoday Samiti
Publication Year1919
Total Pages510
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_gyatadharmkatha
File Size10 MB
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