________________
हाथीयोंसे,परिकीर्ण(भरेहए),समर्थ,पाइदल सेनासे,पूर्ण । संपूर्ण, पृथ्वीके राज्यकुं, छोडके, आज्ञामें, तत्पर। तृणकीतरह,वस्त्रमें लगेहूर, करि, परिकिण्णं, पक्क, पाइक्क, पुण्णं। सयल,पुहवि.रजं, छंडिनं, आण,सजं ॥ तणमिव, पडलग्गं, जो', तीर्थंकर मुक्तिके, मार्ग! चारित्रकुं,अंगोकार कियेहए, होवो, वे,मेरेपर, प्रसन्न ।१३। पूनमके,चंद्रजैसे, मुखवाली, प्रफुल्लित,
जे,जिणा, मुत्ति,मग्गं । चरण, मऽणुप्पवन्ना, हुंतु, ते,मे, पसन्ना ॥१३॥छण, ससि,वयणाहिं, फुल्ल, नेत्ररूप, कपलवाली । स्तनोंके,भारसे, नमीहुइ, मुट्टिसे, ग्राद्य, पेटवाली। सुंदर,भुजारूप,लता(वेल)वाली,पुष्ट श्रोणिस्थल(कमर)वाली।। नित्तु,प्पलाहिं । यण, भर,नमिरीहि,मुहि,गिज्झो,दरीहिं॥ललिय,भुअ, लयाहिं, पीण,सोणित्थलाहिं। सदा, देवांगनाओंसे, बांदेगयेहै, जिनके, चरण ।१४। अर्श(मसा),किटिभरोग, कोढ,गंठिवाय,खांसी,अतिसार । क्षयरोग,ज्वर(ताव), की सय, सुररमणीहिं, वंदिया, जेसि,पाया ॥१४॥ अरिस,किडिभ,कुठ्ठ,गंठि,कासा,ऽइसार। खय, जर, दणः, लून, वास, कंठशोप.पेट के रोग)! नख, मुख, दांत, आंख, कुंख, कॉन आदि के रोगोंको । मेरे, जिनयुग के, चरण, वण,लुआ,सास,सोसो,दराणि ॥ नह,मुह,दसण,ऽच्छी,कुच्छि,कण्णाऽऽइ,रोगे। मह, जिणजुअ.पाया, अच्छे प्रसन्नहए, हरणकरो ।१०। इस, मोटे,दुःखोंके, त्रासमें, पख्खीमें, चोमासीमें। जिनवरदो के, स्तोत्रकुं, संवच्छरीमें, अथवा, 'सुप्पसाया, हरंतु॥१५॥इय, गुरु, दुह,तासे,पख्खिए, चाउमासे। जिणवरदुग, थुत्तं, वच्छरे, वा. ॥८॥
१ अजित-शांति । २ ग्रहण करने योग्य । ३ फोडे-फुनसी । ४ अजित-शांति । ५ दो तीर्थकर ।
+
+th
For Personal Private Use Only