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________________ (मैं)इच्छताहूं , हे क्षमाश्रमण !, वांदनेकुं, शक्ति मुजब, अन्यकाप निषेधके, मस्तकसे, वांदताहूं ।. खमास- इच्छामि, खमासमणो!,'वंदिवं,जावणिजाए, निसीहिआए,मत्थएण, वंदामि । मणा (हेगुरुजी!) इच्छाकरके, सुखसे रात्रि, मुखसे दिन, सुखसे तपस्या,(और)शरीरमें, बाधा-रोग-रहित, सुखसे संयम यात्राकुं, निभाते इच्छकार _ इच्छकार, सुहराइ, *सुहदेवसि,सुख तप, शरीर, निराबाध, सुख संजम जात्रा, निर्वहोर मुहराइ होजी ?, स्वामी ! सातामें होजी । इच्छाकरके, आज्ञादीजिये, हेभगवन् !,अभ्युत्थित(तयार)हुआहुँ, २अंदरकिये,रात्रीसंबंधी, अभ्भु-छोजी ?,स्वामि! साता छेजी ?।'इच्छाकारेण,संदिसह, भगवन् !, अाभुटिओमि अभितर, राइअं, खमानेकेलिये,आज्ञाप्रमाणहै,खमाताहुँ,रात्रिसंबंधीर,जो, कुछ, अप्रीतिवाला,घणीअप्रीतिवाला,भोजनमें,पाणीमें,विनयमें,वेयावच्चमें', बोलनेमें, सूत्र ४ । खामेडं, 'इच्छं, खामेमि, राइअं, जं.किंचि,अपत्तिअं, परपत्तिअं, भत्ते,पाणे,विणए,वेयावच्चे,आलावे, वारंवारबोलनेमें, ५ऊंचेआसनमें,समानआसनमें, बीचमेबोलनेसे, उपरबोलनेसे, जो, कोइ, मेरा,विनयपरिहीन हुआहो, मूक्ष्म(छोटा), संलावे, उच्चासणे, समासणे, अंतरभासाए,उवरिभासाए, जं,किंचि,मज्झ, विणयपरिहीणं, सुहुमं, १ क्षमावाले-तपस्वी । * दिनको १२ बजनेके पहले 'राई' और पीछे 'देवसी' कहना । २ रात्रिके। ३ अपराधोकुं । देवसी आदि शेषचारों पडिक्कमणोंमें अनुक्रमसे 'देवसिय-पख्खि-चउमासिअ-संवच्छरिअ' कहना। ४ सेवाभक्तिम। ५ आपसे ऊंचे आसनपर या गुरुके समान आसनपर बैटनेसे। ६ आपकी बातके । ७ आप बातकर चुकेबाद । ८ अविनय । 5455555555555555555555 ॥२॥ Jain Educat tenational For Personal & Private Use Only Mrunm.ininelibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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