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________________ के पद पकंज सेवे सदा, अणहुंतां इक कोड लाल रे, श्रीसीमंधर०।३। चरण कमल पिंजर वसे, मुज मन हंस नित्यमेव लाल रे। चरण शरण मोहे आसरो, भवोभव देवाधिदेव लाल रे, श्रीसीमंधर. ४। अधम नहारण छो तुमे, दूर हरो भव दुख्ख लालरे। कहे 'जिनहर्ष मयाकरी, दीजो अविचल सख्ख लाल रे.श्रीसीमंधरा (थड) श्रीसीमंधर आदि जिननां.जाणो ए सर्व कल्याण जी। ॐ च्यवने' कल्याण अवतरणे कल्याण,गर्भधारणे कल्याण जी ॥ जन्मे कल्याण दीक्षाए कल्याण, केवलज्ञाने कल्याण जी। मोक्षे कल्याण जे कल्याण फल जीवने, न होवे ते अकल्याण जी ॥१॥ मन शुद्ध वंदो, भावे भवियण,श्रीसीमंधररायाजी। पांचसे धनुष, प्रमाण विराजित,कंचनवरणी कायाजी॥श्रेयांस नरपति, सायकी नंदन, वृषभ लंछन सुखदायाजी। विजय भली पुख्खलावइ च्यवन जन्मादि कल्याण पांच करनेसे अवतरणकल्याण गर्भधारणकल्याणकुं अकल्याण नहीं मानाहै, किंतु वे भी उन्होंमें कल्याणही कहे है। २ श्रीजिनभद्रीयवृत्संग्रहणी पत्र ८८में गाथा "अवयरण जम्म निरखमण, नाण निव्वाण पंच कल्लाणे। तित्थयराणं नियमा, करंति सेसेमु (अशेषेषु) खित्तेसु २२९(क्षेत्रेषु पंचदशस्वपि कमभूमिषु"-टोकामें)। ३ पंचाशक पत्र १५७ में गाथा "गभ्भे (गर्भाधाने-टीकामें) जम्मे य तहा, णिख्खमणे चेव णाण णिव्याणे। भुवणगुरूण जिणाणं, कल्लाणा होंति णायचा ।३१॥"इन दो गाथाओंमें अवतरणकल्याण गर्भधारणकल्याण ही लीखाहै । . . स्त्रीमंधर स्तुति Jain Education n ational For Personal Private Use Only telibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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