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________________ ३३ चांदणे F55555 इच्छताहूं (वास्ते), हेक्षमाश्रमण ! वंदनकरना, शक्तिअनुसार दूसरे काम निषेधके । आज्ञादो, मेरेकुं, मित अवग्रहकी २ "इच्छामि, खमासमणो !, 'वंदिउं, जावणिजाए, निसीहिआए । अणुजाण, मे मिउग्गहं२ । निषेधके३ । अधःकायकुंड, कायासे, संस्पर्शताहूं, खमने के योग्य है. आपकुंद, कमहुआ (बहू) ६, अल्पग्लानीवाले, बहुत शुभ (मुख) से, 'निसीहि, अहो कार्य, काय, संफासं, खमणिज्जो, भे, किलामो, "अप्पकिलंताणं, बहुसुभेण, आपके, रात्रिव्यतिक्रमी (वीती ) | ( संयम ) जात्रा', आपकी । शरीरपीडारहित है ?, और, आपका | खमाता हूँ, हे क्षमाश्रमण !, भे, राइ कता ? ३ | "जत्ता, भे ४ | "जवणिज्जं ?, च, भे ५ । खामेमि, खमासमणो!, रात्रिसंबंधी, व्यतिक्रमकुं", आवश्यक के अतिचारसे, पीछाहटता हूं, (आप) क्षमाश्रमणोंकी, रात्रिसंबंधी, आशातनाकरके (और), तेतीस से राइयं, वइक्कम ६। आवस्सियाए, पडिक्कमामि, खमासमणाणं, राइआए, आसायणाए, तित्तीसकोइभी, जो, कुच्छ, मिथ्याभावसे, मनकीदुष्टतासे, वचनकीदुष्टतासे, कायाकीदुष्टतासे, क्रोधसे, मानसे, मायासे, लोभसे (कीहुइ), ऽन्नयराए. २४जं, किंचि, मिच्छाए, मणदुक्कडाए, वयदुक्कडाए, कायदुक्कडाए, कोहाए, माणाए, मायाए, लोभाए, २. १ मेरे शरीरकी । २ साढ़े तीन ( ३॥ ) हाथ प्रमाण जगहकी । ३ दूसरे काम । ४ आपके चरणकुं । ५ मेरे स्पर्शसे जो । ६ खेद हुआ । ७ थोडी थकावटवाले । ८ बाधारहितं । देवसी आदि शेष चार प्रतिक्रमणोंमें 'दिवसो वइकतो' ( दीवस वीता), 'पख्खो वइकंतो' (पक्ष-वीता), 'चोमासी बहकता' (चोमासी बीती), 'संबच्छगे asकतो' (सवत्सर वर्ष बीता) ऐसा अनुक्रमसे कहना १९ अपराधकुं । x देवसी आदि चार प्रतिक्रमणोंमें अनुक्रमसे देवसि परिख्ख-वउमासि संवच्छरि कहना + दूसरी वेलामें यह पद नहीं बोलना । Jain Educational For Personal & Private Use Only ||३|| Welibrary.org
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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