________________ 1955555555555555555 लोच कराना, योगिनी (जोगणी)को पूंटमें अथवा डावी वाजु रखके लोच कराने को बैठना। 1-1 को पूर्वमें, 3-11 को अग्नि खुणेमें,5 5-13 को दक्षिणमें, ४-१०को नैर्ऋत्य खुणेमें, 6-14 को पश्चिममें, 7-18 को वायव्य खुणेमे, 2-10 को उत्तर में, 8-30 ईशान म खुणेमें, योगिनी रहतीहै। लोच करा चुके बाद लोच करनेवालेके हात दवावे, और स्थापनाचार्यके आगे इरियावहि पडिक्कमे, खमा० देके 'इच्छा० संदि० भग०! चैत्यवंदन करूं ?, इच्छं' कहकर "जयउ सामिय" चैत्यवंदन तथा जं किंचि नमुत्थुणं-जाति चेइयाई जावंत केवि साहू-नमोऽर्हत्-उवसग्गहरं तथा जय वीयराय ! कहके गुरुके पास आकर मुहपत्ति पडिलेहके वांदणे देवे और 5 आगे लिखे मुजब 7 खमा० देवे-१ खमा० देके कहे 'इच्छा० संदि० भग०! लोच पवे?' गुरु कहे 'पवेयह ' / 2 इच्छं इच्छामि खमा० देके कहे 'संदिसह किं भणामो?' गुरु कहे ' वंदित्ता पवेयह' / 3 इच्छं इच्छामि खमा० देके कहे 'केसा मे पज्जुवासिया' गुरु कहे 'दुक्करं कयं इंगिणी साहिया' बाद 'इच्छामो अणुसहिं' कहे / 4 खमा० देके कहे ' तुम्हाणं पवेइयं संदिसह साहूणं पवेएमि' गुरु कहे 'पवेयह'। 5 इच्छं इच्छामि खमासमणो देके तीन नवकार गिणे / 6 खमा० देके कहे 'तुम्हाणं पवेडयं साहणं पवेइयं संदिसह काउस्सग्गं करेमि' गुरु कहे 'करेह / 7 इच्छं इच्छामि खमा० देके केसेस पज्जुवासिज्जमाणेमु सम्मं जं न अहियासिक कुइअं. कक्कराइअं. छिअं. जंभाइअं. तस्स ओहडावणियं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्य०' कहके “सागरवरगंभीरा" तक लोगस्सका काउस्सग्ग करे, पारके प्रगट लोगस्स कहे, बाद गुरुको तथा सभी बडे साधुओंको वंदना करे / ____ अपने हातसेही यदि लोच करे ? तो लोच कर चुके बाद इरियावहि पडिक्कमके 'जयउ सामिय !' चैत्यवंदन-जं किंचि नमुत्थुणं ॐ आदि जय वीयराय! तक कहके गुरु आदि सभी बडे साधुओंको वंदना करे,बाकी मुहपत्ति पडिलेहण सात खमासमणे देने आदि न करे। कल्याण श्रेय वीरनुं कछु, इंद्रे माता भद्रबाहु मूरींद। श्रेय कल्गाण सुपरुपक, नमुं जिनदत्त मूरींद // 1 // फफफफफफफफफफफफफफफफफा For Personal Use Only