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________________ ढंढण रिषि सज्झाया ढंढण रिपिजीने बंदणा हुंवारी, उत्कृष्टो अणगार रे हुंवारी लाल ॥ अभिग्रह लीयो एहवो हुँ०, लेश्यु मुद्ध आहार रे ई०,ढं० ।। नितपति जावे गोचरी १०,न मिले शुद्ध आहार रे १० ॥ मूल न ले अणमूझतो हूं०,पंजर कीधो गात रे हुं० , ० । हरि पूछे श्रीनेमिने १०, मुनिवर सहस अढार रे १० ॥ उत्कृष्टो कुण एहमें १०, मुझने कहो विचार रे १०, ९० ३। दंढण अधिको दाखियो हं०,श्रीमुख नेमि 5 जिणंद रे हं० ॥ कृष्ण उमाह्यो वांदवा १०, धन जादव कुलचंद रे ९०, ढं० १४। गलियारे मुनिवर मिल्या हूं०, वांद्या कृष्ण नरेस रे १०॥ किणही मिथ्यात्वी देखिने ९०,आग्यो भाव विसेस रे हे०,k०।६। मुझ घर आवो साधूजी हूं०,ल्यो मोदक छे शुद्ध रे हृ०।। मुनिवरविहरीने पांगुर्या १०, आया प्रभुजीने पास रे १०,ढ०।३। मुझ लब्धे मोदक मिल्या हूं०,कहोने तुम किरपाल रे १०॥ लब्धि नहीं वच्छ ताहरी १०, 5 श्रीपति लवधि निहाल रे १०, ढं०७ ए लेवा जुगतो नहीं हूं०,चाल्या पगठवा काज रेहूं। ईंटनिवाहे जाइने १०,चूरे करम समाज रे १०, हं०॥८॥ आणी मृधि भावना १०,पाम्यो केवल नाण रे हूं०॥ ढंढण रिपिमुगते गया हूं०,कहे 'जिनहर्ष' मुजाण रे ९०, ढं० ॥२॥ स्वारथकी सब हेरे सगाई, कुण माता कुण बेनडभाई। स्वारथे भोजन भक्त सगाई । स्वारथ विन कोई पाणी न पाई। स्वा०॥२॥ स्वारथे सज्झायका मा बाप शेठ बडाई, स्वारथ बिन नितहोत लडाई स्वागा॥ स्वारथे नारी दासी कहावे, स्वारथ विना लाठी ले धाई स्वा०॥३॥ स्वारथे चेला गुरु गुरुभाई । स्वास्थ विना नहीं होत सहाई ॥ स्वा०॥४॥ समयमुंदर' कहे मुणो लोक लुगाई,स्वारथ है भाइ परम सगाई स्वास्थ० ॥५॥ सज्झायो साल भरमें दो वेला. चैत्र सुदि तथा आसोज सुदि पांचमके दिन दुपहर बाद इरियावहि पडिक्कमके खमा० देके 'इच्छा० संदि० भग०! सज्झाय निख्खिवणऽत्थं मुहपत्ति पडिलेहूं ?, इच्छं' कहके मुहपत्ति पडिलेहे और वांदणे देवे, खमा० देके कहे 'इच्छा. संदि० भग०! सज्झाय निख्खिg?' गुरु कहे 'निख्खिवह' बाद 'इच्छ' कहकर खपा० देके कहे 'इच्छा० संदि० भग०! सज्झाय निख्खिवणऽत्थं काउस्सग्ग करूं?' गुरु कहे 'करेह' बाद 'इच्छं सज्झाय निखिखवणऽत्थं करेमि काउस्सग्गं, अन्नत्थ०' १३५ 555555555555555555555 MEE ॥२७७|| नामा Jan Education For Personal Private Use Only
SR No.600211
Book TitlePanch Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha Surat
Author
PublisherSiddhachal Kalyan Bhuvan tatha SUrat Nava Upasarana Aradhak
Publication Year1933
Total Pages192
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size18 MB
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