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बोध पायेहए,बोध देनेवाले, १ मुक्त(छुटे)हुए,दूसरोंको छुडानेवाले। सर्वज्ञ, सर्वदर्शी(तथा), उपद्रव रहित, अचल(स्थिर),रोगरहित,अंतरहित,
बुद्धाणं, बोहयाणं, मुत्ताणं, मोअगाणं।८।सव्वन्नृणं सव्वदरिसीणं, सिव, मयल, मरुअ, मणंत, के क्षयरहित,व्यावाधारहित,पुनरागृत्ति २ रहित, सिद्धिगति, नामके, स्थानकुं, संप्राप्तहुए, नमस्कारहो.जिनेश्वरोंकुं,जीनाहै भयजिन्होंने(ऐसे)। मख्खय,मव्वाबाह,मपुणरावित्ति,सिडिगइ,नामधेयं,ठाणं,संपत्ताणं, 'नमों, जिणाणं, 'जिअभयाणं।९।। जो, फेर,वीतेकालमें (हुएहै), सिद्ध । जो, और, होचेंगे, अनागत, कालमें। संपति(अभी) फेर, वर्तमान(मौजूद) है, सबकुं, जे.अ. “अईआ, 'सिद्धा। 'जे, अ, “भविस्संति, ऽणागए, काले॥ "संपई, 'अ, "वट्टमाणा। सव्वे, त्रिविधकरके, वांदताहूं। तिविहेण, वंदामि॥२॥
जितने,चैख(जिनविंध)हो। ऊर्ध्वलोकमें, और,अधोलोकमें,और तिरछे,लोकमें, फेर। सबकुं, उन,वांदताहूं। यहां रहाहुआ(मैं),वहां रहेहुओंको। जावंति जावंति,चेइआइं। 'उढे, अ, अहे, अतिरिय, लोए,॥ सव्वाई, ताई वंदे। इह,संतो,तथ्थ, संताई।
जितने, कोइ भी,साधुहो। भरत, औरवत,महाविदेह(क्षेत्र)में, फेर। सबकं(मैं), उन, प्रणत(नमा)हं । त्रिविधकरके,तीनदंडसे,विरत(रहित) जावत जावंत केवि,साहू। भरहे,रवय,महाविदेहे, ये॥सव्वेसिं, 'तेसिं, पणओ। तिविहेण, तिदंड विरयाणं।
१ कर्नबंधनसे । २ पीछा संसारमें आकर जन्मलेने आदिसे।
चेइआई
केविसाहू
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