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पृथ्वी, जल, अग्नि,मारुत(वायु) । एकएककी,सात, योनि, लाखहै। वनस्पतिके, प्रत्येक(तथा),अनंत(काय)में । दश,(तथा)चउदे, में 'पुढवि,दग,अगणि,मारुअ।इकिक, सत्त, जोणि, लख्खाओ॥वण, पत्तेय, अणंते। दस, चउदस, के योनिहै, लाख, १९। विकलेंद्रिओंमें, दो दो(लाख)। चार चार(लाख),और, नारकी,(तथा)देवोंमें। (और)तिर्यंचोंमें होतीहै, .
जोणि, लख्खाओ॥१९॥ विगलिंदिएसु, दो दो। चउरोचउरो, य, नारय, सुरेसु ॥ तिरिएसु, हुंति, चार(लाख)। चउदे, लाख(योनि),और, मनुष्योंमें ॥२०॥ खमाताहूं.(मैं)सब जीवोंको। सब, जीव, खमावो, मुझे । मित्रताहै,
चउरो। चउदस,लख्खा , य,मणुएसु॥२०॥खामेमि, सव्वजीवे । सव्वे,जीवा, खमंतु, मे ॥ मित्ती, मेरी, सब, जीवोंमें। वैरभाव, मेरे, नहीं है, किसीसे ॥२१॥ इसतरह, मैं, आलोचके। निंदके,गुरुसावेनिंदके, दुगुंछितकुं३, है म मे,सव्व,भूएसु। वरं, मज्झ,"न, केणइ॥२२॥ एव.म ऽहं, आलोइअ ! निंदिअगरहिअ, दुगुंछिअं अच्छीतरह । त्रिविधकरके, पीलाहटाहुआ। वांदताहूं, जिनेश्वरोंको, चोवीसों ।२२। खमके", (और)खमवाके,मेरेको, खमाओ।
सम्मं ॥ तिविहेण, पडिकंतो। वंदामि, जिणे, चउव्वीसं ॥२२॥खमिअ,खमाविअ, मइ, खमह। 5 सब, जीवोंके निकाय । सिद्धोंकी, साखसे, आलोचताहूं। मेरे(किसीसे), वैर, नहीं है, भाव ।२३। सब, जीव, कर्मके,
॥९॥ सव्वह,जीवनिकाय ।। सिद्धह, साख,आलोयणह। मज्झह,वइर, न, भाव ॥२३॥'सव्वे,जीवा,कम्म, नी. .. amariनि पायो । ५ टमयोंके अपराधोंको खद क्षमा करके । ६खदके अपराधोंको दूसरोसे क्षमा कराके । ७ समुदाय ।
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