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________________ आयुष्यवंत भने बीजो अल्प आयुष्यवंत; एक बळवान् अने बीजो निर्वळ एक भोगवान् अने भोग भोगववा समर्थ, बीजो भोग रहित तेमज भोग भोगववाने पण असमर्थ; एक धनाढ्य अने बीजो निर्धन आ सघळी विषमता कर्मोदयजनित जाणीने बुद्धिमान जीवोने या विषम संसारमा रति केम थाय ? नज थाय. पूर्वोक्त शुभाशुभ वस्तुनी प्राप्ति तथाप्रकारना शुभाशुभ कर्मजनितज थयेली जाणी संसारथी वैराग्य थवोज जोइए अने वैराग्यपूर्वक धर्मानुष्ठान उपर अधिक प्रादर जोइए. वळी बीजं पण वैराग्य निमित्त दर्शावतां छता शास्त्रकार कहे छः-पांचे इंद्रियोना प्रबळ सामर्थ्यवडे पराभव पामेलो होवाथी कोइरीते मार्गमा स्थापवाने अयोग्य बनेलो अने रागद्वेषना प्रबळ विकारने वश थइ गयेलो होवाथी गुणदोषनी दरकार सरखी नहि करनारो जीव स्वपर उभयने बाधाकारी थाय छे. प्रेक्षापूर्वक प्रवृत्ति करनार जीव गुणदोषनो पूरतो | विचार करी गुणकारी मार्गने आदरे छे अने दोपकारी मार्गनो परिहार करे छ; अर्थात ते गुणनो ज आदर करे छे भने दोषनो परित्याग करे छे. वस्तुस्थिति भावी होवाथी जीवनुं खरं कर्तव्य शुं छे ? ते बतावे छे:-जेम रागद्वेषादिक दुष्ट विकारोनो समूळगो त्याग थइ शके तेम ज प्रवर्तवु योग्य छ अने जेम पांचे इंद्रियोनुं बळ प्रशान्त थाय-इंद्रियो उन्मत्त थती अटके तेम शुम परिणामने टकावी राखवा माटे काळजीथी उद्यम करवो घटे छे अथवा जे जे कारणोनुं सेवन करतां शुभ परिणाम प्रगटे अने तेवा शुभ परिणाम टकी रहे तेवां कारण सेववा पूरती काळजी राखवी घटे छे. जे रीते प्रवृत्ति करवी घटे छे ते शास्त्रकार बतावे छे:-पोतानी शुभ प्रवृत्तिनी शरुआत समजपूर्वक-विवेकपूर्वक थवी Jain Education in For Personal Private Use Only jainelibrary.org
SR No.600205
Book TitlePrashamrati Prakaranam
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
Author
PublisherJain Dharm Prasarak Sabha
Publication Year1932
Total Pages240
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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