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निर्माणनाम, बन्धननाम, संस्थाननाम, संघातननाम, संहनननाम, स्पर्शनाम, रसनाम, वर्णनाम, गन्धनाम, आनुपूर्वीनाम, अगुरुलघुनाम, उपघातनाम, पराघातनाम, आतपनाम, उद्योतनाम, उच्छ्वासनाम, विहायोगतिनाम, प्रत्येक शरीरनाम, साधारण शरीरनाम, वसनाम, स्थावरनाम, शुभनाम, अशुभनाम, सुभगनाम, दुर्भगनाम, सुस्वरनाम, दुःस्वरनाम, सूक्ष्मनाम, बादरनाम, पर्याप्तनाम, अपर्याप्तनाम, स्थिरनाम, अस्थिरनाम, श्रादेयनाम, अनादेयनाम, यशोनाम, अयशोनाम अने तीर्थकरनाम. कुल ४२ तेमां पण गतिना चार प्रमुख बीजा भेदो मेळवतां नामकर्मना ६७ भेदो पण थाय छे. गोत्र कर्मना उच्च गोत्र अने नीचगोत्र मळी बे भेद के अने दानांतराय, लाभांतराय, भोगांतराय, उपभोगांतराय अने वीर्यातराय एम अंतराय कर्मना पांच भेद छे. एम आठे कर्मना १२२ भेदो थाय छे. तेमां पण बंध तो १२० प्रकृतिनोज थाय छे. समकित मोहनीय तथा मिश्र मोहनीयनो बंध थतो नथी. केमके मिथ्यात्व दजिकज विशुद्ध सतुं सम्यकत्व कहेवाय छे अने अर्धविशुद्ध सतुं मिश्र कहेवाय छे. तद्दन अविशुद्ध दलिक मिथ्यात्व कहेवाय छे. ३४-३५. प्रकृतिरियमनेकविधा स्थित्यनुभावप्रदेशतस्तस्याः। तीव्रो मन्दो मध्य इति भवति बन्धोदयविशेषः॥३६॥
भावार्थ-आ प्रकृति, स्थिति, अनुभाव अने प्रदेशवडे करीने अनेक प्रकारे छे, तथा तीव्र, मंद अने मध्यम एवी रीते तेनो बंध अने उदय विशेष होय छे. ३६
विवेचन-एवी रीते कर्म-प्रकृति अनेक प्रकारनी १२२ भेदे थाय छे. स्थिति बंध, अनुभाग (रस) बंध अने प्रदेशबंध थकी ते प्रकृतिबंध तीव्र, मंद के मध्यम थाय छे. तेमज तेने अनुसारे उदय पण तीव्र, मंद के मध्यम संभवे छे.
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