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विवेचन-स्वयमेव गतिमान थयेला जीव अने पुद्गल ए बे द्रव्योने धर्मास्तिकाय गतिमां सहाय आपे छे, पण प्रशमरति * ते नहीं चालता एवा जीव के पुद्गल द्रव्यने चलावतुं नथी, मात्र गतिपरिणतने ज सहाय आपे छे. जेम चालता एवा | प्रकरणम्
मत्स्यने जळ उपकारक छ तेम. वळी जेम आकाश द्रव्य स्वयमेव अवगाहमान द्रव्यने अवगाह आपवाना कारणभूत थाय छे; परंतु अनवगाहमान द्रव्यने बलात्कारे काइ अवगाह आपतुं नथी तेम. वळी जेम स्वयमेव कृषिकार्य (खेती) मां प्रवर्डला कृषिवळ (खेडुत )ने वर्षा अपेक्षा कारण थाय छे; परंतु खेती नहीं करनार खेडुत पासे कांइ बलात्कारे ते खेती करावतो नथी तेम. वळी जे बगलीओने गर्भाधान के प्रसव थवानो होय तेने वरसादना गर्जारवनो शब्द सांभळवाथी गर्भाधान के प्रसव थाय छे पण जेने गर्भाधान के प्रसव थवानो न होय तेने बळात्कारे वरसादनो गर्जारव काइ गर्भाधान के प्रसव करावतो नथी तेम. वळी गुरू विगेरेनो प्रतिबोध जेने पापी विरमवु होय तेने पापथी विरमवामां निमित्तभूत थाय छे परंतु जेने पापथी विरमवु नथी तेने प्रतिबोध काइ बळात्कारे पापथी विरमावतो नथी तेम. ए दृष्टांतो प्रमाणे धर्मद्रव्यने गतिपरिणामवाळा जीवो तथा पुद्गलोने गतिमा अपेक्षा कारण समजबु. तेज रीते स्वयमेव स्थिति करता (स्थिर रहेता) एवा जीव पुद्गलने स्थितिमा अपेक्षा कारण अधर्मास्तिकाय द्रव्य जाणवू. ते काइ स्थिर रहेवा न इच्छता एवा जीव के पुद्गलने बलात्कारे स्थिर राखतुं नथी. मात्र स्थितिपरिणतने स्थितिमां ते उपकारी छे, आकाश अवकाश लेनाने इच्छता जीव अने पुद्गलने अवकाश प्रापे छे, अर्थात् तेनो उपयोग अवकाश अर्थे थाय छे. ते काइ इच्छापूर्वक
१ अहीं इच्छा शब्द जीव साथे ज जोडवो..
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