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________________ श्री० रा० ॥ ३७ ॥ ॥ चोपाइ ॥ खंड खंड मीठो जिम खंग, श्री श्रीपाल चरित्र खंड ॥ (श्री) कीर्त्तिविजय वाचकथी लह्यो, प्रथम खंग इम विनये कह्यो ॥ १ ॥ अर्थ-जेम ( खंग के० ) खांगना ( खंम के० ) कटका मांहे मीठाश घणी होय, तेम या रासना खंगमां पण मीठाश घणी के अने या श्रीपाल राजानुं चरित्र तो अखंग एटले संपूर्ण बे, तेमां ए पहेलो खंम श्रीकीर्त्तिविजय नामा ( वाचक के० ) उपाध्याय तेमना मुखश्री जे प्रमाणे ( लह्यो के० ) पाम्यो- सांजल्यो, ( इम के० ) ए प्रमाणेज श्री विनय विजयजी उपाध्याये कह्यो ॥ १ ॥ Jain Educationa International ॥ इति श्रीमन्महोपाध्यायश्री की र्त्ति विजयगणि शिष्योपाध्यायश्री विनय विजयगणिविरचिते श्री श्री पालचरित्रे प्राकृतप्रबंधे श्री सिद्धचक्रमहिमाधिकारे श्रीपाल कुमरमयणासुंदरीपाणिग्रहणे श्री सिद्धचक्राराधनात् नीरोगत्वप्राप्तिश्री कमल प्रजा मिलनखव्यतिकरकथनेत्यादिवर्णनो नाम प्रथमः खंमः समाप्तः ॥ १ ॥ २८२ ॥ इति श्रीश्री पालचरित्रे बालावबोधे प्रथमः खंगः समाप्तः ॥ १ ॥ For Personal and Private Use Only खंग. १ ॥ ३७ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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