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________________ एकमनां थयां, तेथी तेमनां मनमां एटलो तो उलट एटले हर्ष उपन्यो के ते तेमनां अंगमां | समाइ शकतो नथी ॥ १६ ॥ नयर सयल शणगारीयुं ॥ जय० ॥ चहुटां चोक विशाल ॥ गुण ० ॥ घर घर गूडी चले ॥ जय० ॥ तोरण काकऊमाल ॥ गुण० ॥ १७ ॥ घरे जमा महोत्सवे ॥ जय० ॥ तेडी आव्या राय ॥ गुण ॥ संपूरण सुख जोगवे ॥ जय० ॥ सिधचक्र सुपसाय ॥ गुण ॥ १८ ॥ नयर मांदे प्रगट थइ ॥ जय० ॥ सुख मुख एदीज वात ॥ गुण० ॥ जिनशासन उन्नति यइ ॥ जय० ॥ मयणाए राखी ख्यात ॥ गुण० ॥ १० ॥ रास रुडो श्रीपालनो ॥ जय० ॥ तेहनी अग्यारमी ढाल ॥ गुण ० ॥ विनय केद सिsचकनी ॥ जय० ॥ सेवा फले ततकाल ॥ गुण० ॥ २० ॥ अर्थ-पढी राजाए समस्त नगरने शणगाखुं, तेमां मोटां चौटां अने चोकने विशालपणे शतगारयां. घर घरने विषे गुमीन उठली रही वे, तोरण काककमाल बांध्यां बे ॥ १७ ॥ एम मोटे उत्सवे करी राजा पोताने घेर जमाइने तेमी आव्यो. तिहां श्रीपाल कुमर सिद्धचकना सुपसाय थकी संपूर्ण सुख जोगवे बे ॥ १७ ॥ पढी उजवणी नगरीमा रहेनारां लोकोनां मुख मुखने विषे एहीज वात प्रगट घर, एटले विस्तार पामी, जे श्री जैनधर्मज जगतमां श्रेयस्कर बे. एवी श्री. जिनशासननी उन्नति थइ. एम मयलाए पोताना मुखमांश्री जे वात काढी हती के जीव जे सुख दुःख पामे वे ते सह पोतानां कर्मानुसारे पामे वे, तेज वातनी ख्याति राखी एटले प्रख्याति करी ॥ १५ ॥ ( रुडो के० ) रमणीय मनोहर एवो श्रीपाल राजानो रास तेनी अगीयारमी ढाल पूर्ण 5. श्री विनय विजय उपाध्यायजी कहे बे के श्री सिद्धचकनी सेवा तत्काल फली जूत थाय बे ॥ २० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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