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________________ 5ASALASALLA5%ARSAMAC करे, नवपरंपरा वधारे, अने तहेतु क्रिया तथा अमृतक्रिया ए ( दोश के०) बे नेद ते ( सेववा के० ) श्रादरवा योग्य . ते आदस्याथी मुक्ति पमाडे, माटे ए क्रियाना पांच नेद पण जाणवाने अर्थे तेना जूदा जूदा अर्थ श्रागल वखाणशे ॥ २५ ॥ विषकिरिया ते जाणीए, जे अशनादिक उद्देश रे॥ विष ततखिण मारे यथा, तेम एहज जव फल लेश रे॥ तेम० ॥ संवेग ॥ ३० ॥ परनवे इंसादिक इधिनी, श्वा उरतां गरल थाय रे ॥ ते कालांतर फल दीए, __ मारे जिम हडकीयो वाय रे॥मारे ॥ संवेग ॥३१॥ है अर्थ-हवे ए पांच क्रिया मांहे पहेली विषक्रिया, ते जे चारित्रीयो अशन, पानादिकने उद्दे-18 शीने चारित्र पाले, ज्ञान क्रियानो अभ्यास करे ते सर्व थाहारादिकने अर्थे करे, कोइ गृहस्थ श्रावे है। ते वारे लोकदेखामणी क्रिया करे, ते गृहस्थ गया पली कशी क्रिया करे नहीं, जयणाए न प्रवर्ते, अने ते गृहस्थ तो श्राचारनी शुद्धता जाणीने अशनादिकनी नक्ति करे ते विषकिया जाणीए. जेम विष खाएं थकुं तत्काल मारे तेम ए क्रियाथी आ नव मांदेज अशन खावानुं लेश मात्र फल पामे. जेम केर खावाथी शीघ्र फल मले तेम कपट क्रियानुं पण तरत फल मले एम जाणवु है ॥ ३० ॥ हवे गरल क्रियानुं लक्षण कहे जे. जेम को चारित्रीयाने चारित्र पालतां पालतां चित्तना अध्यवसाय एवा थाय जे इंनी पदवी तथा देवतादिक चक्रवर्ती प्रमुखनी राजलक्ष्मी पामी अथवा धन, धान्यादिकनी श्छा करतां गरल क्रिया थाय, ते गरल क्रिया कालांतरे फल आपे, हम-18 ६ कीया वायुनी परे. जेम को प्राणी हमकेल जनावरे करड्यो होय, तेनो हमकवा त्रण वरस सुधीर जागे. ते जे वारे हमकवा जागे ते वारे मरण पामे. तेम चारित्रीयो अति नियाj करे तो बेत्रण नवे है ते वस्तु पामे, पण शुद्ध चारित्रनुं फल पामे नहीं, माटे ए गरल क्रिया त्याग करवारूप जाणवी ॥३१॥ HAR Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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