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________________ श्री राणा केश दे शरे अरि तणां शिर सुन्नट, आवतां के अरिवाण काले ॥ केश खंग.४ ॥१४॥ असि बिन्न करिकुंन मुगताफले, ब्रह्मरथविदग मुख ग्रास घाले ॥ चंग ॥११॥ मद्यरस सद्य अनवद्य कविपद्यन्नर, बंदिजन बिरुदथी अधिक रसिया ॥ खोज अरिफोजनी मोज धरी नवि करे, चमकनर धमक दर मांदि धसीया ॥ चंग ॥१२॥ | अर्थ-हवे ते सैन्यमां केवा केवा प्रकारनी कलाउँवाला सुनटो ले ? ते कहे जे. केटलाएका सुजट तो जेम खगना प्रहारे करी शिर बेदाय तेम ( शरे के० ) अर्धचंडादिक बाणे करीने (अरि ले। तणां शिर के०) शत्रुसुनटनां मस्तकने दे दे, एवी कलावाला ने. वली केटलाएक सुनट तो है युद्धमा चारे तरफ नजर राखता ( अरि के० ) शत्रुनां सामां आवतां बाणने वचमांधीज काली राखे बे, तथा केटलाएक पोता उपर श्रावतां बाणने वचमांथीज बेदी नाखे , पण आगल है वधवा देता नथी, पोताना अंग उपर श्राववा देता नथी, एवा लघुलाघवी कलावान् सुनटो , ते जाणीए युद्धमां रमतज करी रह्या होय नहीं ? हवे सुजटोनुं जुजबल कहे जे. केटलाएक है सुजट (असि के०) तरवार तेना एकज घाए करी (करिकुंज के०) हाथीना कुंनस्थलने (बिन्न के) बेदी नाखे बे, विदारी नाखे ने. तिहां नाक जातिना हाथीना कनस्थल मांहे जे मोतीनो 8 राशि होय ते तेमांथी वेरा पडे ठे, ते मोतीनो ग्रहण करनार श्हां कोण होय ? तिहां कवि संजावना करे डे के ( ब्रह्मरथ विहग के० ) ब्रह्माना रथमां हंस पदी जोडेला डे तेनां मुखने विषे । (ग्रास घाले के०) चण चुगावे , माटेज सुलटो ते हाथीना कुंजस्थलने जाणे बेदता होय नहीं ?|P॥१४॥ एम लागे बे. एवा अबीह सुनट जे जे ते बले करी एक घाए हाथीना मस्तकने विदारी नाखे । ११॥ हवे सुजटोनो रणरस वखाणे . (सद्य के ) तत्कालनो उपन्यो जे (मद्यरस के) Mainminducationalist For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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