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________________ RSS RSSHRESS REG मदिरानो रस एटले तत्कालनी उपनी मदिरामां केफ घणो होय, ते पीतां वेंतज मन|| चूर्णित थ जाय, विकल दशाने पामी जाय, माटे तत्कालनो उपन्यो मदिरारस थने ( अनवद्य के) निषण एवां कविपद्य एटले गण प्रमुखना जाण, पिंगल तथा अलंकारना पाठी जरत सदृश जे कवित, तेनां रचेला दग्धादरादि दोषरहित एवां पद्य जे कवित, सवैया, कुंमलिया प्रमुख तेनो | (जर के० ) समूह, तेणे करी बंदिजन जे नाट, चारणादिक, ते विरुदावली वंशावली बोली रह्या जे. ते सांजलीने शत्रुनी फोजनी खोज जे चिंता ते पोते मोज धरता न करे, एटले ए केटला ! अमे केटला बीए ! अथवा ए घणा ने ! एम रसिक एवा सुनटजन अधिक थनिमाने चड्या थका (अरिफोजनी के० ) शत्रुनी फोजनी (खोज के० ) रखे अमने ए मारी नाखे, एवी चिंता राख्या विना तेनी अवगणना करीने (मोज धरी के०) पोताना दिलनी आनंद खुश बखतीए । करी (चमकलर के०) रोषने जर एटले समूहे अकस्मात् एटले आगली सामी फोजवालाने गवेषणा नथी जे ए थोडे परिवारे श्रावीने अमारी साथे बाधशे. तेवा अकस्माते (धमक दश के ) धमक दश्ने शीघ्रपणे धमकामां गुलाट मात्यानी पेठे अथवा सिंहनी पेरे पराक्रम धरीने शत्रुनी | फोज मांहे (धसीया के० ) पेठा एटले माहोमांहे युद्ध करता थया, अर्थात् एकाएक सामानी| फोज सेलनेल करी दीधी ॥ १५ ॥ वाल विकराल करवाल दत सुनटशिर, वेग उलित रवि राह माने ॥ धूलि धोरणी मिलित गगनगंगाकमल, कोटि अंतरित रथ रदत गने ॥ चंग ॥१३॥ ___ अर्थ-हवे ए महायुद्ध थाय , एटले गजे गज, घोडे घोमा, रथे रथ अने पाले पाला, एम सरखे सरखां माहोमांहे बेहु सैन्य युद्ध करतां कोश्क खङ्ग धारण करनारो सुनट ते सामा खड्ग 5SMS Jain Education Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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