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________________ श्री राजे, माटे जो ते चतुरने मले तोज प्रमोद उपजे अथवा चतुरने जो कोश् चतुर मले तो परस्पर खरु. ३ (प्रमोद के० ) हर्ष आनंद उपजे. गुणवंतने गुणवंत मले तोज शोने ॥ ए॥ महरो गाय तणे गले, खटके जेम कुक ॥ मूरख सरसी गोठडी, पग पग दियडे दछ॥ १० ॥ जो रुगे गुणवंतने, तो देजे उःखपोधि ॥ दैव न देजे एक तुं, साथ गमारां गोगि॥११॥ रसियाशुं वासो नहीं, ते रसिया इकताल ॥ कुरीने कांखर हुवे, जिम विवडी तरुमाल ॥१२॥ जगति युगति समजे नहीं, सूके नहीं जस सोज ॥ इत उत जोर जंगली, जाणे आव्युं रोक ॥१३॥ अर्थ-नहींकां महरो एटले एने कछी जाषामां गट कहे , ते (कुक के० ) कुकाष्ठ एटले हैं। कुत्सित लाकडं तेने बीबर गायना गलामां बांध्युं थकुं गायना पगने विषे जेम खटके बे, तेम मूरख सरसी एटले मूरखनी साथे जे ( गोठमी के ) गोष्ठि करवी अथवा गोठमी एटले | सहवास करवो ते पण पगले पगले एटले वारंवार हैमाने विषे (हर के0 ) अटक थाय, एटले खटक्या करे, हैयामां साख्या करे ॥ १० ॥ माटे हे दैव ! जो तुं गुणवंत जननी उपर रुष्टमान थाय तो तुने गमे तो तेने छुःखनी पोगे नरी नरीने श्रापजे, पण मात्र गमारां| एटले मूर्ख तेनी साये ( गोवि के०) सहवास करवो जेनाथी प्राप्त थाय एवं सुःख दश नहीं ॥ ११ ॥ वली जे माणस पोते रसिक ने, थने तेने जो तेना जेवाज रसिक जन साथे वसतुं न 8/0ए॥ थाय तो ते रसिया जन पण एकताल एक हाथे ताली न देवाय ते समान जाणवा. ते केवा समजवा ? के जेम (तरुमाल के ) वृदनी डाल, ते वृक्षथी विडमीने जूद पडी गयेली होय ते वृद विना एकली रहेली कुरी जुरीने फांखरा जेवी थाय बे, एवा ते एकताल माफकना रसिक Sain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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