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________________ सर्व शास्त्र कहेवाय ने ते तथा ( सुनाषित के० ) जेमा प्रस्तावोचित जलां वचन होय, एवाश प्रास्ताविक श्लोक जे चाणाक्य प्रमुख तेना नेद सहित तथा गाथाना नेद, बंदनी जाति, सवैया कवित्त, कुंमलिया, दोहा, गाहा, हेली, प्रहेली इत्यादिक सर्व सुत्नाषित जाणवां, तथा ( काव्य के०) हरिणी प्रमुखथी मांडीने महादंमक पर्यंत नवनवा बंदनी जाति. तिहां जे अगीयार अदरनुं पद ते काव्यनी पहेली जाति जाणवी इत्यादि. (रस के०) नव रस, तेमनां नाम कहे .शृंगार-14 रस, हास्यरस, करुणारस, रौधरस, वीररस, नयानकरस, बीनत्सरस अनुतरस अने शांतरस एक नव रस. तथा वली त्रण प्रकारना रस. तेमां एक स्थायी रस, वीजो सात्विक रस, त्रीजो संचारी 31 रस, एनी उपर राग, अनुराग, अनुरति, तेणे करी युक्त. तथा वली वीणानाद ते वीणाना शब्द तथा जूदी जूदी जातिनां वाजित्रोना शब्द ते लोकलाषाए त्रण प्रकारना . एक घा, बीजो वा, ४/त्रीजो घसरको. तथा वली वीजा चार नेद कहे , एक घन ते ताल प्रमुख, बीजो सुषिर ते वंशादिक, त्रीजो आन ते मुरजादिक, अने तत ते वीणा प्रमुख. हवे प्रथमना त्रण नेदनो अर्थ 5 कहे बे. प्रथम घा ते ढोल, पमहो, मृदंग, पखावज, ताल, कंसाल, करताल प्रमुख जाणवां.16 बीजो वा ते शंख, शरणार, नेरी, नफेरी, मुंगल, करणाट प्रमुख जाणवां.त्रीजो घसरको ते सारंगी प्रमुख जाणवां. इत्यादिक सर्व वाजिब जाणवां. हवे वीणानां सात नाम , ते कहे . वीणा, घोषवती, विपंची, कंठकूणिका, वलकी, तंत्री, परिवादिनी. ते वीणाना खामी जूदा जूदा होय. शिवनी वीणानुं नाम नालंबी, सरखतीनी वीणानुं नाम कछपी, नारदने महती नामे वीणा 8 होय, सर्वने सम्मत ते प्रजावती नामे वीणा जाणवी, ब्रह्मानी बृहती नामे वीणा , तुंबुरुनी कलावती नामे वीणा, चांमालनी कंटोली नामे वीणा, ए वीणाना नेद जाणवा. इत्यादिक सर्वनो , ( विनोद के०) रमण ते गुणसुंदरी बे, एटले ए सर्व चातुर्य गुणसुंदरीमां ने. एम सार्थवाह जे श्राव्यो ते श्रीपालने कहे . वली कहे जे के हे स्वामिन् ! ते कुंवरी अत्यंत माही ने, वली चतुर Jan Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600197
Book TitleShripal Rajano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1917
Total Pages420
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size11 MB
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