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________________ यतिख समु ॥४६ ॥१७६ ॥ कसिदोसंमिश्र णिविके एगाइगुणुन्फिर्ड वि होइ गुरू। मूखगुणसंपया जर अरकविश्रा होइ जं जणि ॥ १७ ॥ गुरुगुणरहि विहं दबो मूलगुणविउत्तो जो न गुणमित्तविहूणोत्ति चंझरुद्दो उदाहरणं ॥१०॥ खगुणसंजुअस्स य गुरुणो वि य उवसंपया जुत्ता । दोसखवे वि अ सिरका तस्सुचित्रा णवरि जं जाणिवे ॥ १७ए । मूलगुणसंपत्तो न दोसखवजोग श्मो हेर्छ । महुरोवक्कमळे पुण पवत्तिअबो जहुत्तमि ॥ १० ॥ पत्तो सुसीससद्दो एव । कुणंतेण पंथगेणावि । गाढप्पमाश्णो वि दु सेखगसूरिस्स सीसेण ॥ ११ ॥ नणु सेवगसेवाए जइ खच सेखगत्स सीसत्तं । तं मुत्तूण गयाएं ता पंचसयाण तमखधं ॥ १८॥ तस्स य मूलगुणेसु संतेसु गमणाणा। तेसिं तस्स य जुत्तिस्कमा कह होति वेहम्मा ॥ १३ ॥ मूलगुणसंजुअस्स य दोसे वि अवजणं उवक्कमिडं । धम्मरयणंमि नणिरं पंथगणायंति चिंतमिणं ॥ १४॥ जन्न पंचसयाणं चरणं तुलं च पंथगस्सावि । अहिगिच्च उ गुरुरायं विसेसि पंघर्ड तहवि ॥१०॥ |णियमेण चरणजावा पंचसयाएं पिजवि गुरुरा। तहविश्र परिणामवसा नक्किको पंथगस्सेसो ॥ १०६ ॥ एय एवं उमेयं जं गोसाखोवसग्गिए पाहे । श्रमाविस्काइ सु बाढं रत्तो सुणस्कत्तो ॥ १७ ॥ पडुअणुरत्तेण तहा रुन्नं सीहेण माखुनाकछे। तनावपरिणयप्पा पहुणा सदावि श्र श्मो ॥ १७॥ कस्स वि कत्था पीई धम्मोवायमि दढयरा हो । एयश्रभुक्षावाहा मूखलेशावहा एवं ॥ १७ए ॥ अमेहिं पंथगस्स उ गुरुरागुकरिस व संगारो । गुरुसेवाइ स रत्तो अखे। अनुशायविहारे ॥१०॥ सेखयमापुष्ठित्ता गवित्ता पंथगं च अणगारं । गुरुवेयावश्वकरं विहरताणं पि को दोसो ॥११॥ १ संतेमुचिटुम्हनवणठाणाई। ॥३६॥ Jan Education For Personal & Private Use Only brary.org
SR No.600196
Book TitleSyadwad bhasha Devdharmpariksha Adhyatmopnishad Adhyatmikmatpariksha Yatilakshansamucchay
Original Sutra AuthorManvijayji, Yashovijay Upadhyay
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages138
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size15 MB
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