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जिस्क विसोहि महवय तम्हा सबिजाए गमणं ॥ १६० ॥ जार्ज अ अजार्ज य मुविहो कप्पो य होइ विने । इक्किको पु विहो सम्मत्तकप्पो समो ॥ १६१ ॥ गीयत्थजायकप्पो अगी पुण जवे अजार्ज । पपगं समत्तकप्पो तदू| एगो दो समत्तो ॥ १६२ ॥ उलबचे वासासु सत्त समत्तो तदूगो इयरो । असमत्ताजायाएं उहे न होइ श्रजर्व | ॥ १६३ ॥ ता गीयंमि इमं खलु वयणं खानंतरायविसयंति । सुत्तं श्रवगंतवं पिडणेहिं तंतणीईए ॥ १६४ ॥ इक्कस्स पुणो तस्स वि विसमे काले तहा वि ए विहारे । जणववायनयार्ज ववर्जि एस तंतंमि ॥ १६५ ॥ काखंमि संकिलिहे कायदयावरो वि संविग्गो । जयजोगीणमलंने पणगन्नयरेण संवसइ ॥ १६६ ॥ इय एगागिविहारे इदंपतात्थ सुपरिसुद्धे । गुरुकुलवासच्चानु॑ लेसे वि जावई एत्थि ॥ १६७ ॥ गुणवं च गुरू सुत्ते जहत्यगुरुसद्दजायणं इहो । इयरो पुरा विवरी गन्हायारंमि जं ज ि॥ १६८ ॥ तित्थयरसमो सूरी सम्मं जो जिएमयं पयासेइ । श्राणं च कंतो सो कापुरिसो ए सप्पु | रिसो ॥ १६७ ॥ जहायारो सूरी जछायाराणुविरकर्ज सूरी। उम्मग्गधि सूरी तिमिवि मग्गं पणासंति ॥ १७० ॥ एए | गुरुणो गुणा पवकारिहगुणेहिं पबका । गुरुकुलवासो का सया अरकयसी लत्तमवि सम्मं ॥ १७१ ॥ खंती समो दमो वि तत्तत्तं च सुत्त अनासो । सत्तहिांमि रयत्तं पवयवलया गरुई ॥ १७२ ॥ जबाणुवत्तयत्तं परमं धीरत्तमविय सोहग्गं । शियगुरुणाणुलाए पर्यमि सम्मं श्रवाणं ॥ १७३ ॥ श्रविसा परलोए थिरहत्थोवगरणोवसमसद्धी । निणं धम्मकहित्तं गंजी रत्तं च इच्चाई ॥ ११४ ॥ उजयचिय किरियापरो इमो पवयणाणुरागी य । ससमयपवर्ड परिणा पोय च ॥ १७५ ॥ जो देउवायपरकं मि हेच आगमे श्र आगमि । सो समयपक्षवर्ड सिद्धंतविरागो श्रो
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