________________
सुग्गईमग्गो॥ १० ॥ करुणावसेण नवरं गवई मग्गमितं पि गुणहीएं । श्रच्चंताजुग्गं पुण अरत्तो उवेहे ॥१२॥ गुणरागी य पव गुणरयणनिहीण पारतंतंमि । सधेसु वि कक्रेसु सासणमाखिन्नमिहरा उ १३०॥ तेण खमासमणाएं हत्येणंति य जणंति समयविऊ । अविश्रत्तवधिजुत्ता सवत्थ वि पुसमजाया ॥ १३१ ॥ण वह जो गुणरायं दोसलवं कहिलं गुणड्ढे वि । तस्स णियमा चरित्तं नत्यित्ति नएंति समयन्न् ॥ १३ ॥ गुणदोसाण य जणियं मन्नत्यतं विनिचियमविवेए । गुणदोसो पुण खीखा मोहमहारायाणाए ॥ १३३ ॥ सयणप्पमुहेहिं ता जस्स गुणडंमि पाहिलं रागो। तस्स न दंसणसुद्धी कत्तो चरणं च निवाणं ॥ १३॥ ॥ उत्तमगुणाणुराया कालाईदोसन अपत्ता वि । गुणसंपया परत्य वि न नहा होइ लषाणं ॥ १३५ ॥ गुणरत्तस्स य मुणिणो गुरुआणाराहणं हवे णियमा । बहुगुणरयणनिहाणा तण अहिट जउ को वि॥ १३६ ॥ तिहं दुष्पमिश्रारं अम्मापिठणो तहेव नहिस्स । धम्मायरियस्स पुणो नणि गुरुणो विसेसेउं ॥ १३७ ॥ श्रणवत्थाई दोसा गुरुवाणाराहणे जहा इंति । इंति य कयब्रुवाए गुणा गरेक्षा जा जणिया ॥ १३० ॥ नाणस्स होइ जागी थिरयर दसणे चरित्ते य । धन्ना आवकहाए गुरुकुलवासं न मुंचंति ॥ १३ ॥ सघगुणमूखजून जणि श्रायारपढमसुत्तमि । गुरुकुखवासो तत्थ य दोसा वि गुणा जर्ज नणिथं ॥१४०॥ एयस्स परिचाया सुद्धंगविणेव हिययाणि । कम्माइ वि परिसुच गुरुत्राणावत्तिणो बिति ॥ ११ ॥ श्रायत्तया महागुण कालो विसमो सपरकया दोसा । श्राइतिगनंगेण वि गहणं जणिशं पकप्पंमि ॥ १४॥ गुरुत्राणाए चाए जिणवराणा न होइलियमेश । साहुंदविहाराषं हरिजद्देणं जळ जमिकं ॥ १४३ ॥ एचम्मि परिचत्ते थाणा खलु जगवर्ड परिहत्ता ।
li
-
JainE
For Personal & Private Use Only
elibrary.org