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________________ चंदरायचरिए विसयाणुMकमणिगा ॥१९॥ नियपावकम्मुदयाओ पज्जते मरणं पाविऊणं निरयम्मि समुप्पण्णा, चंदराओ हि विसुद्धसीलबलेण परमपयं संपत्तो त्ति सुहासुहकम्मफलपयंसणपरं इमं चरियं वियाणियव्वं । विसेसविसयजिण्णामूहि चंदरायचरियस्स विसयाऽणुक्कमणिगा पेक्खियव्व त्ति । पज्जते एयं चरियं भव्वं, पढंत-वायंत-झायमाणा भो । भविया तह तुम्हे वि य, होह सया सच्चरणसीला ॥१॥ विक्क्मस्स सत्तावीसाहियदुसहस्ससंबच्छरे जेटपुण्णिमाए साबरमईए सिरिचिंत्तामणिपासनाहसंनिहिम्मि । -विजयकत्थूरसूरी विसयाणुकमणिगा पढम-उद्देसेसिरिमुणिसुब्वयतित्थे, दिक्खिय-चंदनरवइ-चरित्तस्स। पइउद्देसपसंगा, इह कहिज्जति बोहढें ॥१॥ पसंगा पुढंका- । पसंगा पुढेका १-मंगलगाहाओ, जंबूदीववण्णणं १-२॥ ४-वीरसेणभरवइस्स पुरओ कन्नाए नियसरूवकहण, नरिंदस्स २-आभापुरीनयरीए वीरसेणनरिंदस्स वण्णणं, मिगयानि अग्गओ सेवगाणं हियवयणं, चंदावईकन्नाए पाणिमित्तं च कगइतुरंगमेण सद्धि रण्णो अडवीए गमणं ३-४॥ ग्गहणं च ७-101 ३-वीरसेण निवस वावीए पवेसो तत्थ य जोगिणा सह संगमो ५-चंदकुमार जम्मो ११॥ तह य कन्नाए रक्खणं च | ६-वसंतसमयम्मि नरवइणो उज्जाणम्मि समागमणं, पुत्तविर ॥१९॥ Jan Education interna For Personala Paivate Use Only M
SR No.600181
Book TitleSiri Chandrai Chariyam
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherNemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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