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________________ मेघमा० ॥ १५ ॥ Jain Educationa Inte अर्थ- वैशाख मासना शुक्ल पक्षनी बीज जो खरेखर संध्याकाले अथवा मध्यान्हकाले गर्जनावाली होय, तो डुकालनो संजव जावो. ॥ ७ ॥ वैशाखशुक्लचतुर्थ्यां सूर्योदये नवेद्यदि । इशानी दिशमाश्रीत्य, चंडवायुर्जयप्रदः ॥ ८ ॥ | महामारी समुत्पातो, जवति जन विनाशकः । ज्येष्ठमा सि तदा नूनं, युद्धं चैव महीभुजाम् ॥ अर्थ- वैशाख मासनी शुक्ल चतुर्थीने दिवसे सूर्योदय वखते जो इशान दिशमां जयंकर चंडवायु वाय, तो माणसोने नाश करनारो एवो मोटी मरकीनो उत्पात ज्येष्ठ मासमां खरेखर थाय ने राजा वच्चे युद्ध पण श्राय ॥ ८ ॥ ५ ॥ | पंचमी रविवारा चे, द्वैशाखे शुक्लपक्षका । तदाऽतिवृष्टितो ज्येष्ठे, जलप्लवैर्जगत्दयः ॥१०॥ - वैशाख मासना शुक्लपक्षनी पांचम जो रविवारी होय, तो ज्येष्ठ मासमां अतिवृष्टिथी, पाणीनी रेलोथी जगतनो दय थाय. ॥ १० ॥ षष्ठी च शनिवारा चे, न्मेघवन्नो नजोमणिः । उदयकाले संजातो, धूलिवृष्टिश्च पूर्वगा ॥ ११ ॥ | तदाषाढे ध्रुवं वष्टिः, करकाणां संजायते । नदी सरोहदा चैव, संपूर्णाः सबिलैर्भुवम् ॥ १२ ॥ अर्थ- वैशाख मासना शुक्लपक्षनी बघ जो शनिवारी होय, अने उदय वखते सूर्य जो वादलांंथी ब For Personal and Private Use Only विचार. ॥ १९ ॥ inelibrary.org
SR No.600175
Book TitleMeghmala Vichar
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1900
Total Pages68
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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