SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 39
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Educationa in वैशाखे शुक्ल पंचम्यां, अचछन्नं यदा नजः । गर्जते वर्षते चापि पूर्ववातो नवेद्यदा ॥ २ ॥ | उदयास्तसमयेऽर्कस्य, जायते मुवि चेद्ध्रुवम् । संग्रहेत्सर्वशस्यानि, प्रचूराणि प्रयत्नतः॥३॥ मासे जाऊपदेऽत्यंतं, महर्ष्याणि जवंति हि । ज्ञातमेवं हि विद्वनि, ज्योतिर्विद्याविशारदैः ॥ अर्थ- वैशाख मासमां शुक्ल पंचमीने दिवसे सूर्योदय तथा सूर्यास्त समये जो आकाश वादलांंथी बवाएलुं होय, गर्जना थाय, वृष्टि थाय तथा पूर्व दिशानो जो वायु होय, तो प्रयत्नपूर्वक घणां धान्योनो | संग्रह करवो; केमके ते धान्यो नादरवा मासमां अत्यंत मोंघां थाय बे; एवी रीते ज्योतिष विद्यामां विचक्षण एवा विधानोए खरेखर जाणेलुं बे. ॥ २ ॥ ३ ॥ ४॥ वैशाखे तु प्रतिपदि, मेघा वा विद्युतो यदा । सर्वधान्यस्य निष्पति, र्नवति हि सुखप्रदा ॥२५॥ - वैशाख सुदिपडवाने दिवसे वादलां अथवा जो वीजली थाय, तो सर्व धान्यनी नीपज सुखने आपनारी थाय ॥ ५ ॥ तृतीया शुक्लपक्षस्य, वैशाखे गुरुतोऽन्विता । रोहिणी कक्षसंयुक्ता, नूरिधान्यप्रदा मता ॥ अर्थ- वैशाख मासना शुक्लपक्षानी त्रीज जो गुरुवार सहित, तथा रोहिणी नक्षत्र सहित होय, तो ते घणां धान्योने देनारी मानेली बे. ॥ ६ ॥ वैशाखशुक्ल द्वितीया, यदा हि गर्जनान्विता । संध्याकाले मध्याह्ने वा, तदा पुर्जि संजवः For Personal and Private Use Only ainelibrary.org
SR No.600175
Book TitleMeghmala Vichar
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1900
Total Pages68
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy