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नन्दिसूत्रम् ॥१८५॥
से किं तं विवाहे ? विवाहे णं जीवा विआहिजंति, अजीवा विआहिजंति, जीवाजीवा विआहिज्ांति ससमए विहिज्जति, लोए विआहिज्जति, अलोए विआहिज्जति, लोआलोए विआहिज्जति विवाहस्स णं परिता वायणा संखिया अणुओगदारा संखिज्जा वेढा संखिज्जा सिलोगा संखिज्जाओ निज्बुत्तीओ संखिजाओ पडिवत्तीओ संखिजाओ संगहणीओ, से णं अंगट्टयाए पंचमे अंगे एगे सुअक्खंधे एगे साइरेगे अज्झयणसए दसउदेसगसहस्साई दस समुद्देसगसहस्साई छत्तीसं वागरणसहस्साई दोलक्खा अट्ठासी पयसहस्साई पयग्गेणं संखिज्जा अक्खरा अनंता गमा अनंता पज्जवा परित्ता तसा अनंता थावरा सासयकडनिबद्धनिकाइया जिणचन्नता भावा आघविजंति पन्नविजंति परूविनंति दंसिज्जंति निदंसिज्ति उवदंसिज्वंति से एवं आया से एवं नाया से एवं विन्नाया से एवं चरणकरणपरूवणा आघविज्जइ । से तं विवाहे ॥ ५ ॥
से किं तं नायाधम्मक हाओ ? नायाधम्मकहासु णं नायाणं नगराई उज्जाणारं चेइआई वणसंडाई समोसरणाई रायाणो अम्मापियरो धम्मायरिया धम्मकहाओ इहलोइयपरलोइया इडिविसेसा भोगपरिचाया पव्वज्जाओ परिआया सुअपरिग्गहा तवोवहाणाई संलेहणाआ भत्तपञ्चक्खाणाई पाओग मणाई देवलोगगमणाई सुकुलपञ्चायाईओ अ पुणबोहिलाभा अंत किरियाओ, आघविज्जति, नायाधस्मकहाणं दस धम्मकहाणं वग्गा, तत्थ णं एगमेगाए धम्मकहाए पंच पंच अक्खाइआ सयाई एगमेगाए
अवचूरिसमलंकृतम्
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