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64562525-25616
वितरंति एवं से णो कप्पइ जाव विहरित्तए, जत्थुत्तरिअं धम्मविणयं लभेज्जा एवं से कप्पइ अन्नं गणं संभोगवडिआए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, जत्थुत्तरिअं धम्मविणयं णो लभेज्जा एवं से णो कप्पइ अन्नं गणं जाव विहरित्तए । गणाव-| च्छेइए गणाओ अवकम्म इच्छेज्जा अन्नं गणं संभोगवडिआए उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए, णो से कप्पई भणावच्छेइअत्तं अणिक्खिवित्ता संभोगवडिआए जाव विहरित्तए, कप्पइ से गणावच्छेइअत्तं णिक्खिवित्ता जाब विहरित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरिअं वा जाव विहरित्तए, कप्पइ से आपुच्छित्ता आयरिअं वा जाव विहरित्तए, ते असे वितरंति एवं से कप्पइ अण्णं गणं संभोगवडिआए जाव विहरित्तए, ते असे णो वितरंति एवं से णो कप्पइ जाव विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविणयं लभेजा एवं से कप्पइ अन्नं गणं जाव विहरित्तए, जत्थुत्तरियं धम्मविणयं णो लभेज्जा एवं से णो र कप्पइ जाव विहरित्तए । आयरियउवज्झाए गणाओ अवक्कम्म इच्छेज्जा अण्णं गणं संभोगवडिआए जाव विहरित्तए, णो से कप्पइ आयरियउवज्झायत्तं अणिक्खिवित्ता अण्णं गणं जाव विहरित्तए, कप्पड़ से आयरियउवज्झायत्तं णिक्खिवित्ता जाव विहरित्तए, णो से कप्पइ अणापुच्छित्ता आयरिअं वा जाव विहरित्तए, कप्पड़ से आपुच्छित्ता आयरिअं वा जाव विहरित्तए, ते अ से वितरंति एवं से कप्पइ जाव विहरित्तए, ते असे णो वितरंति एवं से णो कप्पइ जाव विहरित्तए, जत्थुत्तरिअं धम्मविणयं लभेजा एवं से कप्पइ जाव विहरित्तए, जत्थुत्तरिअं धम्मविणयं णो लभेज्जा एवं से णो कप्पइ आचार्योपाजाव विहरित्तए"त्ति ॥ ४५ ॥ संभोगार्थ गणान्तरसमणमुक्तम् । अथाचार्योपाध्यायोद्देशनार्थं तदाह
ध्यायोद्देशसंकमणं आयरिओवज्झाउद्देसणे वि तिण्हट्ठा । नाणे महकप्पसुए, विजाई दंसणे हेऊ ॥ ४६॥
नार्थमुपसंपतद्विधिश्च
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