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________________ Jain Education Int अह कयकिच्चं अप्पं, मण्णतो रयणचूडखयरिंदो । नमिउं गुरुपयकमलं, संपत्तो निययनयरम्मि ॥ २८२ ॥ चिंत कुमारसाहू, कयण्णुसिरसेहरो कयावि मणे । परउवयारपरत्तं, अहो ! अहो ! रयणचूडस्स ||२८३ ॥ पढमजिणनाहदंसणपवरवरत्ताइ जेण पढमंपि । भवभीमकूबकुहरे, निवडतो रक्खिओ तइया ॥ २८४ ॥ सिरिबुहमुणिंददंसणसंदणसंपायणेण पुण अहुणा । अहयं तह एस जणो, सिद्धिपुरीसम्मुह विहिओ || २८५ ॥ इय चिंततो निच्च, कमेण निट्ठवियअट्ठकम्ममलो । विमलो तह धवलनिवो, अइविमलपयं समणुपत्तो ॥ २८६ ॥ तया स वामदेवो, दिक्खागाहणभया तओ नट्ठो । कंचणपुरम्मि पत्तो, ठिओ गिहे सरलसिट्ठिस्स ॥ २८७॥ सिट्टी सोय अपुतो, तं सव्वत्थवि गणेइ पुत्तं व। अंतद्धपि दंसइ, अइसरलो तस्स कुडिलस्स ॥ २८८ ॥ कवि सो निसार, अंतणमुक्खणित्तु अन्नत्थ । हट्टाउ ठवइ छन्नं, व हेरिओ दंडपासीहिं ॥ २८९ ॥ ता उग्गओ दिणयरो, मुट्ठो मुट्ठ त्ति तेण पुकरियं । मिलिओ पभूयलोओ, सरलो जाओ विसन्नमणो ॥ २९०॥ माकुणसु सिट्टि ! खेयं, लद्धो चोर त्ति भणिय पासीहिं । बंधित्तु वामदेवो, नीओ नरनाहपासम्मि ॥ २९९ ॥ कुविएण तेण वज्झो, आणत्तो सरलसिट्टिणा तत्तो । दाऊग पहूयधणं, कहकहमवि मोइओ एसो ॥ २९२ ॥ तो निंदिज्ज लोए, कयग्यचूडामणी इमो पावो । जेण नियजणयतुल्लो, वीससिओ वंचिओ सरलो ॥२९३॥ अन्नदिणे निवगेहं भिन्नं केणावि सिद्धविज्जेण । न य लक्खिओ य एसो, तो कुविओ नरवई बाढं ॥ २९४ ॥ एयं तु वामदेवस, कम्ममियं जंपिउं तयं पावं । ओबंधावर सो वि हु, मरिउं पत्तो तमतमाए ॥ २९५ ॥ For Private & Personal Use Only Inelibrary.org
SR No.600153
Book TitleDharmratna Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherSarabhai Manilal Nawab Ahmedabad
Publication Year
Total Pages340
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size16 MB
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