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________________ उवमा खलु एस कता० गाहा । एगदेसेण उवमा-जहा सीहो माणवगो, सूरतामेत्तं सारिस, ण सरीरागारो सेसगुणा वा, एवमणुवरोहवित्तिता तुल्ला, न सेसं ॥४७॥ इमं च जह दुमगणा उ तह णगरजणवया पयण-पायणसभावा। जह भमरा तह मुणिणो वरि अदिण्णं णे गेण्हंति ॥४८॥ जह दुमगणा उ० गाहा । जहा सभावतो दुमा काले पुप्फ-फलं देंति तहा जणा वि पाकादि । जहा भमरा तहा मुणिणो विसेसधम्मा ण अदिण्णं गेण्हंति ॥४८॥ कहं पुण जहा भमरा तहा मुणिणो ? नणु कुसुमे संभावपुप्फे आहारेंति भमरा जह तहेव । भत्तं सभावसिद्धं समणसुविहिता गवसंति ॥ ४९ ॥ कुसुमे सभावपुप्फे० णिज्जुत्ती। जहा सभावकुसुमितेसु दुमेसु भमरा अणुवरोहेण रसमापिबंति एवं लोगस्स सभावनिव्वत्तियातो पागातो समणसुविहिता उग्गमादिविसुद्धमाहारेति (माहारं गवेसंति) ॥४९॥ असण्णि-असंजतदोसपरिहरणत्थं विसेसेण उवणतोवदरिसणत्थं च इमा अद्धगाहा उवसंहारो भमरा जह तह समणा वि अवधजीवि त्ति । उवसंहारो [भमरा] जह तह ख (स) मणा वि अवधजीवि त्ति । जहा भमरा पुप्फस्स अणुवमद्देणं तहा अणुवरोहेण साहणो ॥ संजतेहिं भमरेहिंतो गुणाहिकयासमुन्भावणत्थं भण्णति १० १ अनुपरोधवृत्तिता ॥ २णवर वृद्ध०॥ ३ अदत्तं खं० वी. सा० ॥ ४ण भुंजंति सा• हाटी०॥ ५सहावफुल्ले खं० वी० सा• हाटी० ॥ ६ तहा उ सा.॥ ७°जीवीआ खं०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600152
Book TitleDasakaliya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPunyavijay
PublisherPrakrut Granth Parishad
Publication Year1973
Total Pages552
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_dashvaikalik
File Size25 MB
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