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पण- इय सुत्तनो
सार
पाणी
जेमनी उपर भमरा-भमरीओ गुंजी रह्यां छे पयां उत्पल, कुमुद, नलिन, सुभग, सौगंधिक, पाँडरीक, सो अने हजार पांखडीवाळां । खोलेला कमळोथी अने विसपत्र तथा मृणालना दंडोथी ए वां जलाशयो ढंकापलां छे. जेमनी अंदर भमता मत्स्यो अने काचवाओ
आसव जेवां
अने बीजा कलोल करी रह्या छे अने जेमने कांठे अनेक प्रकारनां पक्षीओ विचरी रह्यां छे पवां ए स्वच्छातिस्वच्छ जळथी छलकतां जलाशयो|
प्रकारनां ते वनखंडोमां शोभी रह्यां है.
ए जलाशयोमा केटलांकमां आसव जेवां पाणी छे, केटलांकमां शेरडीना रस जेवां, केटलांकमां घी जेवां, केटलांकमां दृध जेवां, ५ वटोमां केटलांकमां खारा ऊस जेयां अने केटलांकमा सामान्य पाणी जेवां पाणी भरेलां छे.
क्रीडानां ते वावो अने कृवा वगेरे प्रत्येक जलाशयोनी फरतां चारे दिशामा त्रण प्रण सोपानो छे, ते सोपानो उपर तोरणो धजाओ अने । अनेक छत्रो वगेरे शोभी रह्यां छे.
साधनो अने [११२] तेमां नानी नानी वावो वगेरेनी अने कूवानी हारोमा बच्चे वच्चे घणा उत्पातपर्वतो नियतिपर्वतो जगतीपर्वतो दारुपर्वतोदेवोनी आवेला छे तथा कोइ ऊंचा के नीचा पवा दकमंडपो दकमालको अने दकभचो उभा करेला छे.
क्रीडा वळी त्यां मनुष्योने हिंचवालायक हिचका जेवा केटलाक हिंचकाओ गोठवापला छे, तेम पक्षीओने झलवालायक झला जेवा केटलाये झलाओ गली रह्या छे. ए वधा हिंचकाओ अने मलाओ सर्वरत्नमय होवाथी अधिकाधिक प्रकाशमान अने मनोहर के.
| ॥७॥ ११३] वच्चे बच्चे आवेला ते उत्पातपर्वतो वगेरे पर्वतो उपर अने हिंचकाओ उपर सर्वरत्नमय पां अनेक हंसासनो, जाँचासनो, गरुडासनो, उन्नत ढळतां अने लांयां आसनो, पक्ष्यासनो, भद्रासनो, वृपभासनो, सिंहासनो, पद्मासनो अने स्वस्तिकासनो सजापला छे.
[११४] वळी, ते वनखंडोमां सर्वरत्नमय झळहळायमान एवां आलिगृहो, मालिगृहो, कदलीगृहो, लतागृहो, आसनगृहो, प्रेक्षणगृहो,
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