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________________ होय, एवो पर तेना जेबो वनखंडोमां रायपसेणइय सुत्तनो सार अनेक शेष मधुर है जलाशयो ॥७४॥ मजबूत होय, कुलीन घोडानी जोड जोडेली होय, हांकनारो सारथि अतिकुशळ होय अने अनेक प्रकारनां हथोआरो कवचो भाथांओ वगेरे युद्धोपकरणोथी जे भरेलो होय, एवो प रथ, मणिओथी बांधेला राजाना भव्य आंगणामां वारंवार चालतो होय, वारंवार आवतो जतो होय, त्यारे तेनो जे मधुरध्वनि संभळाय छे, तेना जेवो ते तृणोनो अने मणिोनो ध्वनि छे? गौतम ! ना, एना जेवो पमनो ध्वनि नथी पण ते करताय विशेष मधुर छे. वादनकुशळ नर वा नारीद्वारा रात्रीना छेल्ले पहोरे वागती चडती उतरती मूर्छनावाळी पवी वैकालिक वीणानो जे मधुर अवाज ५ संभळाय छे तेवो अवाज, ते तृणोनो अने मणिओनो छ ? गौतम ! ना, पवो पण नथी-प करतां सविशेष मधुर छे. भद्रशाळ नंदन सोमनस के पांडकवनमा अथवा हिमालय मलय के मंदर गिरिनी गुफाओमा रहेता, गानताननी सहेल करवा साथे मळेला किन्नरो किंपुरुषो महोरगो अने गांधोंनो जेचो विशुद्ध मधुर गीतध्वनि गुंजे छे, तेयो ध्वनि परस्पर अथडाता ए मणि ओनो अने तृणोनो छ ? गौतम ! हा, ते मणिओनो अने तृणोनो पवो मधुरातिमधुर ध्वनि नीकळे छे. [१११] वळी, ए वनखंडोमा ठेकठेकाणे नानी मोटी नानामां नानी अने मोटामां मोटी पवी अनेक चोरस चावो, गोळ पुष्करिणीओ, सीधी वहेती नदीओ, वांकी चुंकी वहेती नदीओ अने फूलोथी ढांकेला पवां हारवंध आयेला अनेक सरोवरो तथा हारवंध शोभता अनेक कवाओ आवेला छे. ए बधांना कांठा रजतमय, कांठाना भागो खाडाखडिया विनाना पकसरखा छे. एमनी अंदरना पाणाओ बज्रमय अने वेळु सुवर्ण-रजतमय छे. वावो वगेरे ए वधां जलाशयो सुवाळा सोनाना तळियावाळां छे, एमां ऊतरवानां अने नीकळवानां साधनो सारी रीते गोठवा-|| पलां छे, एमना घाटो अनेक प्रकारना मणिओथी जडेला छे. चार खूणावाळा ए जलाशयोमां पाणी अगाध अने अतिशीतळ छे. JainEducation For Private Personal Use Only
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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