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________________ रायपसेणइय सुत्नो सार ॥३६॥ [१७] "योग्य भवग्रहपूर्वक संयम अने तपथी आत्माने भावित करता श्रमण भगवान महावीर जंबूद्वीपना भारतवर्षमा आमलकप्पा १८भगवान नगरीनी बहार अंबसालवण चैत्यमा आवीने विहरे छे ते मारे माटे श्रेयरूप छे. महावीरना ___ "तेवा प्रकारना अरहंत भगवंतनां मात्र नाम गोत्र काने पडे तोपण ते महाफळरूप छे, तो पछी तेमनी सामे जवानो, तेमने वांद उतारावाळी वानो, नमस्कार करवानो, तेमनी पासेथी केटलाक खुलासा पूछवानो अने तेमनी उपासना करवानो प्रसंग मळे तो तो कहेवू ज शु? |जग्याने ___"आर्य पुरुषर्नु मात्र एक धार्मिक सुवचन काने पडे तोपण ते महाफलरूप छे, तो पछी नेमनी पासेथी विपुल अर्थ-उपदेश- स्वच्छ अने मेळववानो प्रसंग सांपडे तो तो कहेवु ज शु? सुगंधित "तो हुं श्रमण भगवान महावीरने वांदवा, नमवा, तेमनो सत्कार करवा, सन्मान करवा तथा कल्याणरूप मंगळरूप, चैत्यरूप अने करवा देवरूप श्रमण भगवान महावीरनी पर्युपासना करवा जाउं. सूर्याभदेवे "श्रमण भगवान महावीरनी ए पर्युपासना मारे माटे-जन्म-जन्मांतरमां हितकर, सुखकर, क्षमकर, कल्याणकर नीवडवानी छे आभियोअने नीवडशे": पम ते सूर्याभ देव विचार करे छे. प प्रमाणे गंभीरपणे विचारीने तेणे पोताना आभियोगिक देवोने बोलावी तेमने | १०गिक देवोने आ प्रमाणे कहां करेली [१८] "हे देवानुप्रियो ! पम छे के, योग्य अवग्रहने ग्रहण करी संयम अने तपथी आत्माने भावित करता श्रमण भगवान महा- आज्ञा वीर जंबूद्वीपना भारतवर्षमां आमलकप्पा नगरीनी बहार अंबसालवण चैत्यमां आवीने विहरे छे. तो हे देवानुप्रियो! तमे त्यां जाओ योजाएली छे. विवक्षित भाव उपर विशेष भार बताववा एक ज वाच्य माटे पण अनेक शब्दो मुकाता हशे, परंतु भाषामां एवं ठीक न जणायाथी आ अनुवादमा ए पद्धति स्वीकारी नथी. ६३ टीकाकार 'क्षम'नो अर्थ 'संगति' बतावे छे: (क्षमायxसंगतत्वाय-रायपसेणइय पृ.१०२ समिति) Jan Educati onal For Private Personal Use Only w.jainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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