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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार ॥२२॥ पन जेवी विशाळ नाभि, मुसल दपण अने वज्रना मध्य जेवो मध्यभाग, "उत्तम घोडो अने सिंहनी कटी जेवो कटीभाग, श्रेष्ठ घोडाना गुप्त गुह्य भाग जेवो गुप्त सुजात अने निरुपलेप गुह्य भाग, उत्तम हाथी जेवी मलपती ललित अने विक्रमवाळी गति, हाथीनी सुंढ जेवा शोभन उरुओ, ढांकणोमां बराबर बेठेला मांसल बन्ने | धुंटणो, हरणी जेवी रुडी वृत्त जंघाओ, सुश्लिष्ट सुसंस्थित अने बहार न कळाय तेवी घुटीओ, काचबाना चरण जेवा सुप्रतिष्ठित उन्नत चारु चरणो, नानी मोटी छतां पगनी आंगळीओ सुसंहत अने कोमळ, पगना नखो ५ राता अने चमकता, तळियां रातां कमळना पत्र जेवां सुकोमळ अने मृदु, पगमा पर्वत नगर मगर सागर चक वगेरेनी जेवी उत्तम रेखाओ, विशिष्ट रूप जाज्वल्यमान अग्नि, चमकती वीजळी, अने तरुण सूर्यनी जेवू उग्र तेज तथा अंगमा, उत्तम पुरुषनां अंगमां होय एवां एक हजार आठ सुलक्षणोः श्रमण भगवान महावीर शरीरे पवा प्रकारना हता. ४५ भगवानना शरीरना मध्य भागने मुसल जेवो वर्णवेलो छे. मुसल-सांबेलु-नो मध्य भाग-जेने पकडीने खंडाय छे ते भाग पातळो |१० होय छे. मध्य भाग पछी तरतज कटीभागर्नु वर्णन छे, तेथी मध्य भाग अने कटी बन्ने जुदा छे एन बीसराय. ४६ उत्तम पुरुषना शरीरमा एक हजार ने आठ शुभतम लक्षणो होय छे ए हकीकत जैन ग्रंथोमा वारंवार आवे छे. पण ते लक्षणो क्यां क्यों छे ए संबंधी बीगतवार हकीकत क्याय नजरे चडती नथी. हाथमां चंद्र, सूर्य, शंख, चक्र, स्वतिक वगेरेनी जेवी रेखाओ होय अने पगमा पर्वत नगर मगर सागर चक्र वगेरेनी जेवी रेखाओ होय-ए बधां शारीरिक सुलक्षणो छे. १००८ अने १०८ नी संख्या घणा || संप्रदायवाळाने तेम जैन लोकोने विशेष प्रिय छे एन कारण शोधवा जेवू छे. Jain Education Internet For Private & Personel Use Only rwwrainelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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