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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार. ॥२०॥ ही जेवा निर्मळ" एक शाईलनी हडपची डीक, उत्तम पाडो पराजय, स्थिरता अने । लोढाना घणनी जेवी सुबद्ध स्नायुवाळी अने शिखर जेवी उन्नत खोपरी उपर शिरोभाग, माथाना वाळ घननिचित-लगोलग उगेलाचांकडिया जमणा वांकवाळा सुंवाळा अने भमरा जेवा काळा, वाळ उगवानी चामडी-केशांतभूमि-सोना जेवी चमकती अने दाडिमना फुल जेवी निग्ध, छत्र जेवू उंचुं उत्तम उत्तमांग-मस्तक, वणविनानो एकसरखो अर्धचन्द्र जेवो ललाटपट्ट अने पूर्णचंद्र समान सोमाकार मुख, सांभळवामां सरवा प्रमाणयुक्त बन्ने कान, मांसथी भरेला पुष्ट बन्ने कपोल, धनुष जेवी वांकडी काळी माछी भमरो, खीलेला ५ कमळ जेवां एकाद घोळा वाळवाळी पापणवाळां बन्ने नयनो, गरुडनी नासिका जेवी उत्तुंग लांबी सरळ नासिका, परवाळा जेवा बन्ने होठ, चंपानी कळी जेवा निर्मळ एक श्रेणीबद्ध बधा दांत, अग्निथी धमेला सोनाना जेवु रातुं ताळवं अने जीभ, अवस्थित-अवस्थासुचक अने सुविभक्त श्मश्रु-दाढी मूंछ, शार्दुलनी हडपची जेवी मांसल प्रशस्त हडपची, प्रमाणसर चार आंगळ उंची उत्तम शंख जेवी रूपाळी डोक, उत्तम पाडो वराह सिंह शार्दूल बळद अने हाथीना खभा जेवा | १० ४२ पापणमा एकाद धोळो वाळ वर्णववानुं कारण समजातुं नथी. कदाज ए विशेष गांभीर्य, स्थिरता अने वृद्धत्वसूचक होय. ४३ भगवानना दांतनुं वर्णन वाचता आपणे तेमना दांतोनी शुद्धिनो ख्याल मेळवी शकौए छीए. केवळी थया पछी भगवान नियत आहारी रह्या छे. आहारने जे नियत लेतो होय तेना दांतो आवा शुद्ध अने निर्मळ त्यारे ज रही शके ज्यारे ते दांतो तरफ बेदरकार न रहे. कोइ छूमंतर के अतिशय मात्र कहेवाथी दांतोनी शुद्धि थई जती नथी. ए तो, संयमसाधन, शरीरनी विशेषसंयमपूर्वक काळजी, आहारनु प्रमाण, स्वादेन्द्रियनो जय, अजीर्णनो अभाव अने शरीरगत रक्तकणोनी विधुच्छक्ति उपर निर्भर छे. भगवानना अनुयायी आपणे, वधारे तो नहि पण तेमनी दंतशुद्धि जेटलंय तेमनुं अनुकरण करीए तोय बस छे. अनुयायी आपणीनो अभाव अने शरीरगत र पाई जाती नथी. ए तो, संयमान रही शके ज्यारे ते दाता Jain Education in maila For Private Personel Use Only wwehinelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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