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________________ रायपसेणइय सुत्तनो सार ॥१४॥ .. समृद्धिवाळो कातिए दीपतो ए सेय नृप प्रसिद्ध हतो. भवनो, शयनो, आसनो, यानो अने वाहनो पनी पासे विपुल-विस्तीर्ण हतां, पना भंडारमा घणुं धन, सुवर्ण अने रजत-रूपं भरेलुं हतुं, अर्थलाभना" उपायोने करी जाणनार पना राज्यमा पठवाडमां पण घण भातपाणी फेंकी देवामां आवतां अर्थात् लोको खाधेपीधे सुखी हता. २९ 'आजना राजानी पेठे प्राचीन समयना राजाओ, अर्थलाभना उपायोने करी जाणता' ए हकीकत खास विशेषण द्वारा सूचबवामां आवी छे. एथी 'राजा तरीके जमीननी आवकरूपे तेमने जे योग्य मळवु जोइए ते तो मळतुं ज हशे अने ते उपरांत अर्थलाभना उपायोने तेओ योजता हशे' एवो आ विशेषणनो ध्वनि नीकळी शके. पण आजना राजाओ, अर्थलाभना उपायो करतां प्रजाने भारे रंजाडे छे तेम ए प्राचीन राजाओ करता हशे के केम ! ए एक प्रश्न छे. उत्तराध्ययन सूत्रना खलुकिज नामना सत्यावीशमा अध्ययननी गाथा तेरमीमां पायवेट्टि' शब्द राजानी वेठ' अर्थमां वपरायो छे तेथी जूना बखतमा 'वेठ' हती एम तो कही शकाय अने अर्थलाभ साथे 'वेठ' नो गाढ संबंध छे ए तो जाणीतुं छे. . एठवाडमा घणु खावार्नु चाल्यु जाय एने संपत्तिनी निशानी रूपे वर्णवेलुं छे, पण ए संपत्तिनी निशानी करतां बेदरकारीनुं वधु निशान छे एम १० लाग्या विना रहेतुं नथी. चारसें वर्ष पूर्वे लखेली एक प्राचीन प्रतिमा "तथा विच्छदितम्-तथाविधविशिष्टोपकारकारितया विसृष्टम् उकुरिटकादिषु प्रचुरं भक्तपानम्" इत्यादि पाठ छे. तेनो अर्थ एम थाय छे के-'जे राजाना राज्यमा विशिष्ट उपकार करवाने कारणे प्रचुर खानपान उकरडा वगेरेमा फेंकाय छे." आ उपरथी 'जेना एठवाडमा अधिक खावान फेंकाय ते विशेष उपकारी छे' एवं टीकाकारर्नु कथन नीकळे छे. परंतु अहिंसानी दृष्टिए विचारीए तो आ पद्धति प्रशंसनीय न ज गणाय. कदाच खरेखर एबुं बनतुं ज होय तोपण राजानी वर्णनामां तेनुं आ जातनुं वर्णन अहिंसानी दृष्टिए न शोभे. एठवाडद्वारा उपकार करवा करतां चोक्खा भोजनद्वारा उपकार करवानी पद्धतिने ज जैन दृष्टि स्वीकारे २५ छे अने विवेकीने तो ऐम ज शोभे. एठवाडथी तो उपकारने बदले अपकार ज थाय अने मानवबंधुओ तथा अन्य प्राणीओ प्रतिनो आपणो For Private Personal Use Only Jain Education inte Howinelibrary.org
SR No.600148
Book TitleRaipaseniya Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1938
Total Pages536
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_rajprashniya
File Size11 MB
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