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रायपसेणइय सुतनो
सार
घणा दासो, दासीओ, बळदो, पाडाओ, गायो अने घेटओनो प प्रभु हतो, पनो यंत्रकोश, अन्नकोश, धनकोश अने आयुधकोश भरेलो रहेतो, बहु दूबळाओनो प मित्र हतो एवो ए सेय राजा आमलकप्पा नगरीमां अकंटक राज्य चलावतो हतो-पना राज्यमां क्या दुकाळ, मरकी वगेरे उपद्रवो न हता, सदा सुभिक्ष रहेतो पथी पनुं राज्यशासन शिवरूप अने क्षेमरूप लेखातुं.
[६] राणी धारिणी हाथेपगे सुकुमाळ हती, तेनी पांचे इंद्रियोमां के अंगमां कोइ प्रकारनी खोड न हती, तेनां अंगप्रत्यङ्गो सामुद्रिक लक्षणो,” व्यंजनो अने गुणोथी युक्त हतां, वजनमां अने उंचाइमां ते बराबर मापसरने हती, देखावमां चंद्र जेवी प्रियकर ५ जणाती ते राणीनी कड मुठीमां आवी जाय पवी पातळी, मजबूत अने त्रिवलीवाळी हती. प्रेम-समभाव पण न जळवाय अने गंदवाड थइ रोगचाळो बधे ए तो जुदं ज.
३० राजानी पासे अनेक बळदो घेटाओ वगेरे होवानुं जणावीने तेनी संपत्ति वर्णची छे. देशनी दृष्टिए जोतां राजानी खरी संपत्ति पण ते ज छे. ज्यारथी राजाओए ए संपत्ति तरफ दुर्लक्ष्य कर्तुं त्यारथी तेमनी पोतानी अने देशनी अधोगति शरू थइ,
३१ हाथ-पगमा साथियो चक्र वगेरेना जेवी रेखाओ होवी ते सुलक्षणो कहेवाय. शरीर उपर शुभसूचक मसा के तल वगेरे होव ते १० व्यंजनो अने सौभाग्य लावण्य वगेरेने गुणो समजवा.
३२ पाणीथी छलकाता भरेला कुंडमां पुरुष के खोना पडवाथी जे पाणी छलकाइने बहार नोकळे तेनुं वजन द्रोण जेटलं होय तो ते पडनार स्त्री के पुरुष मापसर कहेवाय.
पोताना आगळ्थी एकसो ने आठ आंगळ ऊंचाइ होय तो ते योग्य ऊंचाई कहेवाय.
३३. स्त्रीओनी केड मूठीमा आवी जाय एवी पातळी होय तो ते अधिक प्रशस्त गणाय छे. जन्मतां तो पुरुषनी जेम स्त्रीनी केडमां पात- १५ ळापणुं ओडुं होय छे पण पछीथी युरोपनी स्त्रीओ पोतानी कडने पातळी करवाना उपचारो करे छे तेम जूना बखतमा केडने पातळी करवाना
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६ 'धारिणी'
राणीनं
वर्णन
॥१५॥
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